हाई लेवल मीटिंग के बाद पहली बार प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचे मोहन भागवत, पीएम मोदी से क्या बात हुई?

    यह मुलाकात इसलिए भी विशेष मानी जा रही है क्योंकि 2014 में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद यह पहला मौका है जब संघ प्रमुख सीधे प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचे हों.

    Mohan Bhagwat Prime Minister residence PM Modi
    मोहन भागवत और पीएम मोदी | Photo: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए सुरक्षा से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ कई अहम बैठकें की हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. बैठक में देश की रक्षा तैयारियों, आतंकवाद से निपटने की रणनीतियों और सीमापार गतिविधियों पर चर्चा हुई.

    इस अहम बैठक के बाद एक और बड़ी राजनीतिक हलचल तब देखने को मिली जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचे. यह मुलाकात इसलिए भी विशेष मानी जा रही है क्योंकि 2014 में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद यह पहला मौका है जब संघ प्रमुख सीधे प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचे हों. सूत्रों के अनुसार, यह बैठक भी पहलगाम हमले से जुड़ी स्थिति और भावी रणनीति पर केंद्रित रही.

    'आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए'

    आरएसएस ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे भारत की एकता और अखंडता पर सीधा हमला करार दिया है. संगठन ने बयान जारी कर कहा कि सभी राजनीतिक दलों और संगठनों को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. साथ ही सरकार से मांग की गई कि हमले में शामिल दोषियों को सख्त सजा दी जाए और पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाए.

    इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात कर आतंकी हमले के बाद की सुरक्षा तैयारियों और इंटेलिजेंस इनपुट्स को साझा किया. इन सभी बैठकों और कदमों से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के खिलाफ और अधिक सख्ती बरतने के मूड में है.

    'प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी'

    सरकार ने आश्वासन दिया है कि प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी और क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को नए सिरे से मजबूत किया जाएगा. संघ और सरकार के बीच यह समन्वय इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाले समय में आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक और निर्णायक रणनीति देखने को मिल सकती है.

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