मनरेगा योजना का क्या है नया नाम? नियमों के साथ सरकार ने किए कई अहम बदलाव; पढ़ें हर डिटेल यहां

    MNREGA Rename: ग्रामीण भारत से जुड़ी सबसे अहम रोजगार योजनाओं में से एक को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025 को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को नई पहचान देने का ऐलान किया गया.

    MGNREGA Rename to pujya bapu gramin rojgar know many changes
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    MNREGA Rename: ग्रामीण भारत से जुड़ी सबसे अहम रोजगार योजनाओं में से एक को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025 को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को नई पहचान देने का ऐलान किया गया. अब तक मनरेगा के नाम से जानी जाने वाली इस योजना को नए नाम और नए स्वरूप के साथ लागू किया जाएगा.

    सरकार ने न सिर्फ योजना का नाम बदला है, बल्कि इसके तहत मिलने वाले काम के दिनों और मजदूरी में भी बढ़ोतरी की है. इन बदलावों का सीधा असर देश के करोड़ों ग्रामीण मजदूरों पर पड़ने वाला है.

    अब मनरेगा नहीं, “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना”

    कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को अब पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना के नाम से जाना जाएगा. सरकार का मानना है कि नया नाम योजना के मूल उद्देश्य और महात्मा गांधी के विचारों को और व्यापक रूप से दर्शाता है. इस बदलाव के साथ ही सरकार ने यह भी साफ किया है कि योजना की मूल भावना और ढांचा पहले की तरह ही बना रहेगा, लेकिन इसके लाभ पहले से ज्यादा व्यापक होंगे.

    बढ़े काम के दिन, ज्यादा रोजगार का मौका

    सरकार ने ग्रामीण मजदूरों को राहत देते हुए योजना के तहत मिलने वाले काम के दिनों की संख्या बढ़ा दी है. अब एक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवारों को 125 दिन तक रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा, जो पहले की तुलना में अधिक है. इस फैसले से उन इलाकों को खास फायदा मिलेगा, जहां आज भी रोजगार के सीमित साधन हैं और लोगों को काम के लिए पलायन करना पड़ता है.

    मजदूरी में भी इजाफा, आमदनी बढ़ने की उम्मीद

    कैबिनेट बैठक में मजदूरी को लेकर भी अहम फैसला लिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 240 रुपये प्रतिदिन करने का निर्णय लिया है. इससे महंगाई के दौर में ग्रामीण मजदूरों की आय में सीधा इजाफा होगा और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी.

    कैसे शुरू हुई थी यह योजना?

    ग्रामीण रोजगार योजना की शुरुआत साल 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) के रूप में हुई थी. बाद में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) कर दिया गया, जिसे आमतौर पर मनरेगा कहा जाने लगा. अब एक बार फिर सरकार ने इसे नया नाम देकर ग्रामीण विकास की दिशा में नया संदेश देने की कोशिश की है.

    योजना के तहत कौन-कौन से काम मिलते हैं?

    इस योजना के अंतर्गत ज्यादातर श्रम आधारित कार्य कराए जाते हैं. इनमें ग्रामीण सड़कों का निर्माण, जल संरक्षण से जुड़े काम, तालाबों की खुदाई, बागवानी, भूमि सुधार और गांवों में सामुदायिक विकास से जुड़े अन्य कार्य शामिल हैं. मनरेगा ने न सिर्फ ग्रामीण इलाकों में रोजगार उपलब्ध कराया है, बल्कि गांवों की बुनियादी संरचना को भी मजबूत किया है.

    महिलाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला सहारा

    इस योजना के जरिए महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. घर के पास रोजगार मिलने से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त होने का मौका मिला है. सरकार के नए फैसले—नाम परिवर्तन, काम के दिनों में बढ़ोतरी और मजदूरी में इजाफा—से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. कुल मिलाकर, पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना के रूप में यह पहल ग्रामीण भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है.

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