लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सरकार ने राज्य के विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. लखनऊ और कानपुर जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ अब छोटे शहरों में भी मेट्रो का विस्तार किया जाएगा. यह योजना "उत्तर प्रदेश फॉर विकसित भारत@2047" के तहत तैयार की गई है, जो आने वाले वर्षों में राज्य के शहरी परिवहन को पूरी तरह से बदलने वाली है. उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UPMRC) के अनुसार, साल 2047 तक लखनऊ और कानपुर में मेट्रो का विस्तार बड़े पैमाने पर किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को सुविधाजनक और पर्यावरण-friendly परिवहन की सुविधा मिल सकेगी.
2047 तक लखनऊ और कानपुर में मेट्रो का विस्तार
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UPMRC) के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने इस महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार जल्द ही और भी अधिक बड़े पैमाने पर होगा. वर्तमान में लखनऊ, कानपुर और आगरा में मेट्रो चल रही है, और भविष्य में इन तीन शहरों के मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा. लखनऊ में 225 किलोमीटर, कानपुर में 200 किलोमीटर और आगरा में 100 किलोमीटर मेट्रो नेटवर्क जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है.
वित्तीय संरचना और निवेश की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश में मेट्रो परियोजनाएं गृह ऋण जैसी वित्तीय संरचना पर आधारित हैं, जिससे परियोजनाओं को पूरा करना अधिक संभव हो सकता है. इसमें 50% निवेश भारत सरकार और राज्य सरकार मिलकर देती हैं, जबकि बाकी 50% राशि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से ऋण के रूप में प्राप्त होती है. लखनऊ, कानपुर और आगरा में मेट्रो विस्तार के लिए लगभग 1,040 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी. ये परियोजनाएं लगभग पांच वर्षों में पूरी होने का अनुमान है.
नए मेट्रो कॉरिडोर की योजना: 1,527 करोड़ रुपए का निवेश
नोएडा-ग्रेटर नोएडा, वाराणसी और प्रयागराज में 150 किलोमीटर के मेट्रो कॉरिडोर की योजना तैयार की गई है. इसके अलावा गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, झांसी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, अलीगढ़ और सहारनपुर में 50-50 किलोमीटर के मेट्रो नेटवर्क का प्रस्ताव है. इन सभी परियोजनाओं के लिए 1,527 करोड़ रुपए का निवेश आवश्यक होगा. इस पूरे नेटवर्क में से लगभग 790 किलोमीटर का कार्य 2035 तक पूरा होने का लक्ष्य है.
यूपी मेट्रो नेटवर्क: देश का तीसरा सबसे बड़ा
UPMRC के प्रबंध निदेशक ने यह भी बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश के सभी मेट्रो सिस्टम लाभ में चल रहे हैं. खास बात यह है कि UPMRC ने टियर-2 शहरों में संचालन दक्षता का राष्ट्रीय स्तर पर मानक स्थापित किया है. इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश अब मेट्रो सेवाओं के मामले में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है. भारत का मेट्रो नेटवर्क अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा है और जल्द ही अमेरिका को पछाड़ते हुए दूसरे स्थान पर पहुंचने वाला है.
लास्ट-माइल कनेक्टिविटी और ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट
उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) को बड़े पैमाने पर लागू किया है, जो राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से विकसित हो रहा है. इससे गैर-किराया राजस्व बढ़ाने में मदद मिली है. इसके साथ ही, Uber और Rapido जैसी कंपनियों के साथ समझौते किए गए हैं, जो लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में सहायक होंगे. सभी मेट्रो स्टेशनों पर पार्किंग सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है, जिससे यात्रा करना और भी सुविधाजनक हो सकेगा.
मेट्रो विस्तार से जीवन की गुणवत्ता में होगा सुधार
उत्तर प्रदेश में मेट्रो का विस्तृत नेटवर्क न केवल यात्रा की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि यह राज्य की जीवन गुणवत्ता को भी सुधारने में मदद करेगा. मेट्रो से आने-जाने में लगने वाला समय कम होगा, सड़क यातायात में कमी आएगी और प्रदूषण की समस्या भी घटेगी. इसके साथ ही, यह परिवहन प्रणाली उत्तर प्रदेश को सुरक्षित, स्वच्छ, टिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार शहरी परिवहन का केंद्र बनाएगी.
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