नई दिल्ली/इस्लामाबाद: भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ दुश्मनों के होश उड़ा दिए, बल्कि देश की सैन्य क्षमताओं को भी वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया है. इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के प्रभावशाली इस्तेमाल की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं. भले ही भारत ने इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि न की हो, लेकिन पाकिस्तान के बयानों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स ने इसे सुर्खियों में ला दिया है.ब्रह्मोस के सफल प्रदर्शन के बाद दुनियाभर के कई देश अब इसे खरीदने की कतार में हैं. आइए जानते हैं कौन-कौन से देश इस मिसाइल को हासिल करना चाहते हैं और इसकी ताकत क्या है.
फिलीपींस: भारत का पहला बड़ा रक्षा निर्यात सौदा
भारत और फिलीपींस के बीच जनवरी 2022 में 375 मिलियन डॉलर के ब्रह्मोस मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे. यह समझौता भारत के लिए रक्षा निर्यात के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ.
इंडोनेशिया: उन्नत ब्रह्मोस संस्करण में रुचि
इंडोनेशिया और भारत के बीच ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर पिछले एक दशक से बातचीत चल रही है. अब यह सौदा 450 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. इंडोनेशिया मिसाइल के एडवांस वर्जन को खरीदना चाहता है. फिलहाल सौदे के वित्तपोषण मॉडल पर काम हो रहा है. यह डील दोनों देशों के सामरिक संबंधों को एक नई ऊंचाई दे सकती है.
ब्रह्मोस मिसाइल: भारत की मारक शक्ति की रीढ़
ब्रह्मोस को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO Mashinostroyenia के संयुक्त उद्यम BrahMos Aerospace द्वारा विकसित किया गया है. यह मिसाइल कई मायनों में भारत की तकनीकी और सामरिक शक्ति का प्रतीक बन चुकी है.
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