नई दिल्ली: भारत ने एक बार फिर अपनी तकनीकी सैन्य क्षमता का लोहा मनवाते हुए स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है. ओडिशा के गोपालपुर में किए गए इस परीक्षण ने न केवल भारत के आत्मनिर्भर रक्षा मिशन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, बल्कि यह भी संकेत दे दिया है कि अब भारत के हवाई क्षेत्र में दुश्मन के ड्रोन का कोई स्थान नहीं रह गया है.
जहां एक ओर दुनिया के कई देश विदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम पर निर्भर हैं, वहीं भारत ने अपने दम पर एक ऐसी प्रणाली विकसित कर ली है, जो एक साथ कई ड्रोन को पहचानने, ट्रैक करने और नष्ट करने की क्षमता रखती है. और यही नहीं, यह प्रणाली भविष्य के हाइब्रिड युद्धों में भारत को रणनीतिक बढ़त भी दिलाने वाली है.
भार्गवास्त्र: युद्ध में एक नया ब्रह्मास्त्र
भार्गवास्त्र को Solar Defence & Aerospace Limited (SDAL) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है. यह बहुस्तरीय (multi-layered) प्रणाली न केवल तेजी से आते हुए ड्रोन को ट्रैक करने में सक्षम है, बल्कि उसे 2.5 किलोमीटर की रेंज में ही नष्ट भी कर सकती है.
साल्वो मोड में घातक हमला
13 मई 2025 को गोपालपुर रेंज में भारतीय सेना के एयर डिफेंस कमांड के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में भार्गवास्त्र के तीन परीक्षण किए गए:
पहला परीक्षण- एक रॉकेट फायर कर किया गया.
दूसरा परीक्षण- फिर से एकल रॉकेट दागा गया, जिसने लक्ष्यों को सटीकता से भेदा.
तीसरा परीक्षण- सबसे महत्वपूर्ण, जिसमें दो रॉकेट एक साथ (साल्वो मोड) में मात्र दो सेकंड के अंतराल में दागे गए.
तीनों परीक्षणों ने न केवल तकनीकी दक्षता बल्कि रियल टाइम रेस्पॉन्स की भी पुष्टि की, जो युद्ध की स्थिति में अत्यंत आवश्यक है.
सीमा पर तैनाती की तैयारी
भार्गवास्त्र को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह भारत के हर प्रकार के इलाकों में तैनात किया जा सकता है — चाहे वो समुद्र तल पर हो या फिर 5000 मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर स्थित दुर्गम पहाड़ियां. इस लचीलापन इसे LAC (चीन सीमा), LOC (पाक सीमा) और यहां तक कि भारत के तटीय इलाकों में भी तैनात करने के लिए उपयुक्त बनाता है.
ड्रोन युद्धों का भविष्य
पिछले कुछ वर्षों में, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने तुर्किए और चीन के ड्रोन का उपयोग कर भारत पर निगरानी और हमले की कोशिश की थी. लेकिन अब भार्गवास्त्र की तैनाती के बाद ये रणनीति कारगर नहीं रह पाएगी.
मेक इन इंडिया की मिसाइल
भार्गवास्त्र की सबसे बड़ी ताकत इसका पूरी तरह से स्वदेशी निर्माण है. इसमें न तो किसी विदेशी सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है, न ही कोई आयातित सेंसर. यह भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता का ऐसा उदाहरण है, जो आने वाले वर्षों में दर्जनों देशों के लिए एक मॉडल बन सकता है.
इसके साथ-साथ, भारत इस प्रणाली को निर्यात करने की दिशा में भी विचार कर रहा है. कई अफ्रीकी और एशियाई देश जो छोटे ड्रोन हमलों से जूझ रहे हैं, वे अब भार्गवास्त्र जैसी प्रणाली को एक भरोसेमंद समाधान मान रहे हैं.
वीडियो में देखें भार्गवास्त्र की मारक क्षमता
भार्गवास्त्र परीक्षण का वीडियो जैसे ही सामने आया, सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया. इसमें देखा जा सकता है कि कैसे यह प्रणाली हवा में आते ड्रोन को मात्र सेकंडों में पहचानती है, उन्हें लॉक करती है और फिर एक शक्तिशाली रॉकेट से उन्हें हवा में ही खत्म कर देती है.
#WATCH | A new low-cost Counter Drone System in Hard Kill mode 'Bhargavastra', has been designed and developed by Solar Defence and Aerospace Limited (SDAL), signifying a substantial leap in countering the escalating threat of drone swarms. The micro rockets used in this… pic.twitter.com/qM4FWtEF43
— ANI (@ANI) May 14, 2025
इस परीक्षण का वीडियो भारत की रक्षा रणनीति और तकनीकी महारत का जीवंत प्रमाण बन चुका है, जिसे रक्षा विश्लेषक "गेम-चेंजर" करार दे रहे हैं.
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