Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को गमगीन कर दिया है, लेकिन इंदौर के लिए यह हादसा एक गहरा व्यक्तिगत नुकसान बनकर सामने आया. इस हमले में जान गंवाने वाले एलआईसी के वरिष्ठ अधिकारी सुशील नथानियल (58) का पार्थिव शरीर जब मंगलवार को इंदौर एयरपोर्ट पहुंचा, तो पूरे माहौल में शोक और दर्द भर गया.
मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि, परिवार से की मुलाकात
मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद एयरपोर्ट पहुंचे और उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुशील नथानियल के परिवार से मिलकर संवेदना प्रकट की. इस दौरान का दृश्य अत्यंत भावुक था. शोकाकुल परिजन फूट-फूटकर रो पड़े और मुख्यमंत्री ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा, “यह केवल आपके परिवार का नहीं, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और देश का शोक है. सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है.”
Christian Sushil Nathaniel of Indore shot dead in the front of his daughter when he unable to recite Kalma.pic.twitter.com/IzAwYbfuu0
— Farrago Abdullah Parody (@abdullah_0mar) April 24, 2025
हमले की दर्दनाक कहानी
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सुशील नथानियल की पत्नी जेनिफर ने हमले के समय की एक बेहद विस्मयकारी और मार्मिक बात साझा की. उन्होंने बताया कि आतंकियों ने नथानियल से ‘कलमा’ पढ़ने को कहा था, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “मैं ईसाई हूं, मुझे कलमा नहीं आता.” इसके बाद आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी. इस भयावह हमले में नथानियल की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि उनकी बेटी आकांक्षा (35) घायल हो गईं. पत्नी जेनिफर और बेटा ऑस्टिन (25) उस समय साथ में थे, जो बाल-बाल बच गए.
एक जिम्मेदार अफसर और संवेदनशील इंसान
सुशील नथानियल एलआईसी के अलीराजपुर शाखा में प्रबंधक पद पर कार्यरत थे. उन्हें जानने वाले बताते हैं कि वह न केवल अपने कार्यक्षेत्र में निपुण थे, बल्कि सामाजिक सेवा में भी हमेशा अग्रणी रहते थे. उनके आकस्मिक निधन से इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरा मध्य प्रदेश स्तब्ध है.
जनप्रतिनिधियों और संगठनों का साथ
नथानियल के अंतिम दर्शन के लिए मुख्यमंत्री के अलावा सांसद वीडी शर्मा, मंत्री तुलसीराम सिलावट और कई स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. सभी ने शोक संतप्त परिवार को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया. वहीं, कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने भी सरकार से अपील की है कि पीड़ित परिवार को समुचित आर्थिक और मानसिक सहायता दी जाए. लोगों ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को कठोर सजा दिलाने की मांग की है.
एक नागरिक, एक पिता, एक जिम्मेदार अफसर—अब स्मृतियों में
सुशील नथानियल की मौत न केवल एक परिवार की निजी त्रासदी है, बल्कि यह देश के उस विवेकशील वर्ग पर भी हमला है, जो शांति, सहिष्णुता और जिम्मेदारी से जुड़ा होता है. वे अब नहीं हैं, लेकिन उनकी ईमानदारी, विनम्रता और सामाजिक प्रतिबद्धता हमेशा याद की जाएगी.
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