मोहन कैबिनेट के अहम फैसले; सिंचाई पर होंगे खर्च 1782 करोड़, सरकारी कर्मचारियों को भी मिली बड़ी राहत

    MP Cabinet Decision: 13 दिसंबर को मध्य प्रदेश सरकार के दो साल पूरे हुए और इसके बाद 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में तीसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक आयोजित की गई.

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    MP Cabinet Decision: 13 दिसंबर को मध्य प्रदेश सरकार के दो साल पूरे हुए और इसके बाद 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में तीसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जो न सिर्फ घोषणाओं से कहीं आगे हैं, बल्कि दीर्घकालिक सुधार और संरचनात्मक बदलावों की दिशा में बड़े कदम हैं. इन फैसलों में सरकार की प्राथमिकताएं, जैसे कर्मचारी सुरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और जल ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश, स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आई हैं.

    सरकारी ढांचे में बड़ा बदलाव: कर्मचारियों के लिए स्थायित्व

    कैबिनेट बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय सरकारी कर्मचारियों के पदों में स्थायी और अस्थायी के भेद को खत्म करना था. अब तक सरकारी तंत्र में 10 से अधिक तरह के पद वर्गीकरण थे, जैसे नियमित, संविदा, आउटसोर्स और अंशकालीन. यह जटिल और बिखरा हुआ ढांचा कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद बड़ी समस्याएं उत्पन्न करता था. अब इसे 5 श्रेणियों में समेट दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को सेवा लाभ, पेंशन और भविष्य की भर्ती नीति में सुधार मिलेगा. यह कदम पोस्ट रिटायरमेंट जस्टिस रिफॉर्म के रूप में देखा जा रहा है.

    भोपाल-इंदौर मेट्रो: भविष्य की आर्थिक योजना

    मेट्रो परियोजना पर इस बार सरकार ने रिएक्टिव नहीं बल्कि प्री-प्लान्ड फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी अपनाई है. 2025-26 में भोपाल और इंदौर मेट्रो के संचालन और रखरखाव के लिए 90.67 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि मेट्रो संचालन में आय और व्यय के अंतर का बोझ राज्य पर न पड़े, इसके लिए अब से ही वित्तीय रणनीति तैयार की जा रही है. पहले वर्षों में मेट्रो को सब्सिडी की आवश्यकता होगी, लेकिन सरकार भविष्य के लिए बजट की योजना बना चुकी है.

    अपर नर्मदा परियोजना: जल, बिजली और विकास

    कैबिनेट ने अपर नर्मदा परियोजना के तहत बसानिया और राघौपुर के डूब प्रभावितों के लिए 1782 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को मंजूरी दी है. इस परियोजना का कुल खर्च 5512 करोड़ रुपये होगा, और इसका फायदा अनूपपुर, मंडला और डिंडौरी जिलों में होगा. इस परियोजना से 71,967 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा, 125 मेगावाट बिजली उत्पादन और आदिवासी क्षेत्रों में आर्थिक विकास की संभावनाएं बनेंगी. सरकार ने इस परियोजना के पुनर्वास पैकेज को मंजूरी देकर उसके आगे बढ़ने के रास्ते खोल दिए हैं.

    मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना: युवाओं को स्वरोजगार के अवसर

    मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 905.25 करोड़ रुपये का बजट मंजूरी के लिए रखा गया है, जो 2026-27 से 2030-31 तक खर्च होगा. इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के 18 से 45 वर्ष के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है. इसके तहत युवाओं को 50 हजार से लेकर 50 लाख रुपये तक की राशि दी जाएगी, साथ ही 3% ब्याज पर अनुदान और 7 साल तक लोन गारंटी मिलेगी. यह कदम प्रदेश में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

    वन विज्ञान केंद्रों की स्थापना

    मध्य प्रदेश में पांच वन विज्ञान केंद्रों की स्थापना के फैसले को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है. कृषि विज्ञान केंद्रों की तर्ज पर 2025-26 से 2029-30 तक प्रदेश में छह वन विज्ञान केंद्र खोले जाएंगे. इसके लिए 48 करोड़ रुपये का बजट मंजूरी के लिए रखा गया है. इन केंद्रों का उद्देश्य प्रदेश में वानिकी विस्तार को बढ़ावा देना, वन भूमि की उत्पादकता बढ़ाना और आदिवासी क्षेत्रों में आय के नए स्रोतों का निर्माण करना है.

    मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं अधोसंरचना योजना

    मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं अधोसंरचना योजना के तहत 693.76 करोड़ रुपये की लागत से 3810 नए कार्यों की शुरुआत की जाएगी. डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि इस योजना का सूचकांक 2 से बढ़ाकर 3 किया गया है, और इन कार्यों से ग्रामीण इलाकों में सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार होगा. यह ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी.