वॉशिंगटन से सामने आई एक अहम टिप्पणी ने भारत की भविष्य की सैन्य उड़ान को लेकर नई बहस छेड़ दी है. अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन के सीईओ जिम ताइक्लेट ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि भारत भविष्य में अमेरिकी F-35 स्टील्थ जेट हासिल करना चाहता है, तो उसे पहले F-21 लड़ाकू विमान की दिशा में कदम बढ़ाना होगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते नई सुरक्षा रणनीतियों पर मंथन हो रहा है. गौरतलब है कि भारत को F-35 जेट का प्रस्ताव सबसे पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिया था, जिसे बाद में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दोहराया. हालांकि, भारत की ओर से अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई उत्साही प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
“पांचवीं पीढ़ी प्लस” की तैयारी में अमेरिका
28 मई को बर्नस्टीन स्ट्रैटेजिक डिसीजन कॉन्फ्रेंस में जिम ताइक्लेट ने खुलासा किया कि लॉकहीड मार्टिन अब F-35 को “पांचवीं पीढ़ी प्लस” श्रेणी में ले जाने की तैयारी में है. यह नया वर्जन न केवल नई स्टील्थ कोटिंग्स से लैस होगा, बल्कि इसमें स्वायत्त संचालन, अत्याधुनिक रडार, और इंफ्रारेड-अवशोषक तकनीक भी शामिल होगी. इसके अतिरिक्त, यह विमान वैकल्पिक रूप से मानवयुक्त (optionally manned) भी हो सकता है. लॉकहीड इस योजना के तहत NGAD (Next Generation Air Dominance) प्रोग्राम में पिछड़ने के बाद अपनी वापसी को लेकर गंभीर है, और अब वह F-35 को सस्ते, लेकिन अत्याधुनिक विकल्प के रूप में पेश करना चाहता है.
NGAD तकनीक अब F-35 में
लॉकहीड मार्टिन उन सभी तकनीकों को F-35 में समाहित करने की योजना पर काम कर रहा है, जो उसने NGAD के लिए विकसित की थीं – जैसे उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, डाटा नेटवर्किंग, और AI-बेस्ड ऑटोनॉमी सॉफ्टवेयर. इससे न केवल इसका सामरिक महत्व बढ़ेगा, बल्कि इसे अमेरिका के सहयोगी देशों के लिए और अधिक आकर्षक भी बनाया जाएगा. ताइक्लेट ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में अमेरिका सऊदी अरब, यूएई, और कतर जैसे देशों को भी F-35 बेच सकता है – बशर्ते वे आवश्यक अमेरिकी सुरक्षा मानकों पर खरे उतरें.
F-21: भारत के लिए “पहला कदम”?
भारत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ताइक्लेट ने कहा कि “कुछ देश F-16 या F-21 को F-35 की ओर एक कदम के रूप में देख सकते हैं – और भारत उनमें से एक है.” उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि भारत “F-35 के लिए तैयार नहीं” क्यों है, लेकिन यह बयान भारत को एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि उसे पहले अमेरिका के साथ तकनीकी साझेदारी का अनुभव F-21 जैसे प्लेटफॉर्म से लेना होगा. F-21 दरअसल F-16 का अपग्रेडेड वर्जन है जिसे विशेष रूप से भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है.
कड़े निर्यात नियमों के कारण F-35 की डील जटिल
F-35 लड़ाकू विमान की बिक्री अमेरिका के आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट के तहत होती है, जिसमें कई स्तरों पर मंजूरी की आवश्यकता होती है – स्टेट डिपार्टमेंट, पेंटागन, और कभी-कभी अमेरिकी कांग्रेस की भी. व्हाइट हाउस इस डील को लेकर बेहद सतर्क रहता है, खासकर जब बात आती है तकनीकी सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता, और राजनीतिक समीकरणों की. F-35 को दुनिया की सबसे उन्नत स्टील्थ और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक से लैस विमान माना जाता है – जिसमें सेंसर फ्यूजन, स्टील्थ कोटिंग, और हाई-एंड नेटवर्किंग क्षमताएं शामिल हैं.
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