कनाडा के चुनाव में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने लहराया परचम, पीएम मोदी ने दी जीत की बधाई

    कनाडा की राजनीति में एक बार फिर से मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी की पकड़ मजबूत होती दिख रही है. अब तक आए चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि पार्टी सत्ता में बनी रहेगी, हालांकि बहुमत को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है

    Liberal Party won the Canadian elections. PM Modi congratulated Mark Carney
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    कनाडा की राजनीति में एक बार फिर से मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी की पकड़ मजबूत होती दिख रही है. अब तक आए चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि पार्टी सत्ता में बनी रहेगी, हालांकि बहुमत को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है. यह काफी हद तक साफ है कि लिबरल पार्टी को सरकार बनाने के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ा सकता है. ठीक उसी प्रकार जैसे 2019 और 2021 में लिबरल पार्टी ने गठबंधन में सरकार बनाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट कर मार्क कार्नी को जीत की बधाई दी है.

    पीएम मोदी ने मार्क कार्नी को दी बधाई

    पीएम मोदी ने लिखा कि कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में आपके चुनाव पर @MarkJCarney और लिबरल पार्टी को उनकी जीत पर बधाई. भारत और कनाडा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता और लोगों के बीच जीवंत संबंधों से बंधे हैं. मैं हमारी साझेदारी को मजबूत करने और हमारे लोगों के लिए अधिक से अधिक अवसरों को खोलने के लिए आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं.

    कौन हैं मार्क कार्नी

    इस चुनाव में सबकी निगाहें जिस नाम पर टिकी थीं, वो हैं मार्क कार्नी, जिन्होंने हाल ही में जस्टिन ट्रूडो की जगह पार्टी की बागडोर संभाली और मार्च में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. मार्क कार्नी का राजनीतिक सफर असामान्य रहा है. वे पारंपरिक राजनेता नहीं हैं, बल्कि पेशे से एक अर्थशास्त्री रहे हैं. 2008 से 2013 तक उन्होंने बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में काम किया. इसके बाद 2013 से 2020 तक बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दी.

    उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत तब चर्चा में आई जब उन्होंने ट्रूडो को हटाकर लिबरल पार्टी की कमान संभाली. खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री बनने के समय उनके पास हाउस ऑफ कॉमन्स की सदस्यता नहीं थी, यानी वे सांसद नहीं थे. कनाडा के इतिहास में वे ऐसे सिर्फ दूसरे प्रधानमंत्री बने जो संसद में सीट के बिना पद पर पहुंचे.

    हालांकि इस बार उन्होंने ओटावा के पास नेपियन सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसका मतलब है कि अब वो प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ संसद में एक निर्वाचित प्रतिनिधि भी हैं, जिससे उनकी वैधता और मजबूत हुई है.

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