इस्लामाबाद: बालाकोट एयरस्ट्राइक और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में आतंकवाद को लेकर जो सन्नाटा पसरा था, अब उसमें फिर से हलचल देखने को मिल रही है. भारत की खुफिया एजेंसियों को जो इनपुट मिले हैं, वे इस ओर इशारा कर रहे हैं कि लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में फिर से सक्रिय हो रहे हैं. लंबे समय से बंद पड़े दो बड़े आतंकी कैंप—अब्दुल्ला बिन मसूद और चेला बंदी—फिर से पूरी ताकत के साथ ऑपरेशनल हो चुके हैं.
आतंक के नए दौर की शुरुआत?
भारत की तरफ से की गई स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक्स और सर्जिकल ऑपरेशन्स के बाद आतंकियों के कई बेस पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए थे. खासकर लश्कर-ए-तैयबा के जिन अड्डों से भारत में हमलों को अंजाम दिया जाता था, वे या तो तबाह हो चुके थे या फिर खाली पड़े थे. लेकिन अब एक बार फिर इन ठिकानों पर गतिविधियां शुरू हो गई हैं.
मुजफ्फराबाद में फिर से हलचल
PoK के मुजफ्फराबाद के सिरीकोट इलाके में स्थित अब्दुल्ला बिन मसूद लांचिंग पैड को लश्कर ने दोबारा सक्रिय किया है. खुफिया रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेजेस में यह स्पष्ट देखा गया कि वहां पर नए अस्थायी स्ट्रक्चर बनाए गए हैं—टिन की छतों वाले चार छोटे आवासीय ढांचे, एक वॉच टावर और कुछ अन्य गतिविधियों की पुष्टि हुई है.
इन स्ट्रक्चर्स का निर्माण जून-जुलाई 2025 के बीच हुआ है, और माना जा रहा है कि इन्हें विशेष तौर पर आतंकियों के अस्थायी ठहराव और ट्रेनिंग के उद्देश्य से तैयार किया गया है. ये सभी बदलाव बालाकोट और शवाई नाला जैसे अड्डों के खत्म हो जाने के बाद लश्कर की नई रणनीति का हिस्सा हैं.
टॉप आतंकी नेताओं की मौजूदगी
सिर्फ स्ट्रक्चर ही नहीं, बल्कि टॉप लेवल लीडरशिप की उपस्थिति भी खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ा रही है. पाकिस्तान के कराची में बैठा लश्कर का बड़ा नाम गाजी अबू उस्मान, जो 2019 से निष्क्रिय था, हाल ही में अब्दुल्ला बिन मसूद कैंप में देखा गया है.
इसके अलावा, 7 जुलाई को लश्कर और हिजबुल के कई वरिष्ठ आतंकियों—जैसे सैफुल्लाह सैफ (बहावलपुर मरकज प्रमुख), मुजम्मिल हाशमी (अमेरिका द्वारा घोषित ग्लोबल आतंकी), अबू सुहैब कश्मीरी (हिजबुल का टॉप कमांडर)—ने इस कैंप का दौरा किया.
यह दौरा केवल प्रतीकात्मक नहीं था, बल्कि चार घंटे से ज्यादा समय तक ये आतंकी वहां रुके. इस दौरान रणनीति, प्रशिक्षण, और आतंकी नेटवर्क के पुनर्गठन जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है.
दो आतंकी संगठनों की साझा ऑपरेशन प्लानिंग
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, अब लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन मिलकर अब्दुल्ला बिन मसूद कैंप का संचालन करेंगे. इस निर्णय के पीछे दो उद्देश्य स्पष्ट हैं—प्रशिक्षण और भारत के खिलाफ साझा हमलों की योजना.
अबू सुहैब कश्मीरी को इस कैंप का नया प्रमुख बनाया गया है, जो इन दोनों संगठनों के बीच के तालमेल को मजबूत करेगा. अबू सुहैब साल 2002 से PoK में हिजबुल का संचालन कर रहा है और भारत के अंदर मौजूद नेटवर्क के साथ भी सीधे संपर्क में रहता है.
चेला बंदी ट्रेनिंग कैंप भी फिर से सक्रिय
सिर्फ अब्दुल्ला बिन मसूद ही नहीं, मुजफ्फराबाद स्थित चेला बंदी ट्रेनिंग कैंप को भी लश्कर ने फिर से चालू कर दिया है. इस कैंप में 4 शूटिंग रेंज, 2 हेलीपैड और आतंकियों के लिए आवासीय व्यवस्था है.
एक समय यह कैंप पाकिस्तान सेना की मदद से सक्रिय रूप से आतंकी प्रशिक्षण का केंद्र था. 2019 के बाद से इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन अब वहां फिर से निर्माण गतिविधियां देखी जा रही हैं. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ISI की देखरेख में इस कैंप को हाईटेक बनाया जा रहा है.
सुरक्षा घेरे की आड़ में आतंक
भारत की हालिया स्ट्राइक्स के दौरान एक बात साफ रही कि भारतीय सेना ने रिहायशी इलाकों या पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों के पास मौजूद आतंकी अड्डों को निशाना नहीं बनाया. इसी रणनीति को ध्यान में रखते हुए लश्कर और ISI ने अब अपने नए ठिकानों को या तो टूरिस्ट स्पॉट्स या फिर रिहायशी इलाकों के आसपास बनाया है, जिससे उन्हें निशाना बनाना मुश्किल हो सके.
उदाहरण के तौर पर, चेला बंदी कैंप पास ही पाकिस्तानी सेना का सेंटर है और अब्दुल्ला बिन मसूद कैंप सिरीकोट हिल स्टेशन जैसे पर्यटन स्थल पर स्थित है.
संचालन और हथियारों का जिम्मा
लश्कर के पाकिस्तान स्थित नेटवर्क को फिर से सक्रिय करने में दो नाम खास हैं—सैफुल्लाह सैफ और मुजम्मिल हाशमी. सैफुल्लाह सैफ, लश्कर के डिप्टी अमीर सैफुल्लाह कसूरी का सबसे करीबी माना जाता है और उसकी गैरमौजूदगी में वह लश्कर की रणनीति तय करता है.
वहीं मुजम्मिल हाशमी, जो 2018 से अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी है, कराची से लश्कर के लिए हथियारों की सप्लाई और फंडिंग का प्रमुख संचालक है.
भारत ने जारी की थी आतंकी कैंपों की सूची
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान में स्थित 23 प्रमुख आतंकी अड्डों की लिस्ट जारी की थी, जिनमें अब्दुल्ला बिन मसूद और चेला बंदी भी शामिल थे. उस समय ये दोनों कैंप निष्क्रिय थे, इसलिए इन्हें निशाना नहीं बनाया गया, लेकिन अब जब यहां गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं, तो भारत की सुरक्षा एजेंसियां इन पर नजर गड़ाए हुए हैं.
आगे की आशंकाएं
इस तेजी से हो रहे पुनर्गठन से यह स्पष्ट होता है कि लश्कर-ए-तैयबा और ISI भारत के खिलाफ एक नई साजिश की तैयारी में जुट चुके हैं. आतंकी अड्डों की नए सिरे से प्लानिंग, प्रशिक्षण केंद्रों का हाईटेक बनना, टॉप लीडर्स का दौरा और नेटवर्क का रिऑर्गनाइजेशन—यह सब आने वाले समय में किसी बड़ी आतंकी कार्रवाई का संकेत हो सकते हैं.
भारत की खुफिया एजेंसियां सतर्क हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान अभी भी दोहरी रणनीति पर चल रहा है—एक ओर अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति की बात, तो दूसरी ओर जमीन पर आतंकी नेटवर्क को फिर से मजबूत करना.
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