कश्मीर पर लादेन और मुनीर का एक जैसा बयान, फिर भारत पर हमले... समझिए पूरा गणित

    भारत ने इस हमले का जवाब उसी भाषा में दिया, जिसे दुश्मन समझता है. मई 2025 में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के भीतर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया.

    Laden Munir statement on Kashmir attacked India
    लादेन और मुनीर | Photo: X

    इस्लामाबादः 22 अप्रैल 2025 का दिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में इंसानियत को झकझोर देने वाली एक वीभत्स घटना लेकर आया. बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर 26 पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी. मरने वालों में अधिकांश हिन्दू थे. इस सुनियोजित नरसंहार ने पूरे भारत को आक्रोश से भर दिया और वैश्विक समुदाय भी दहल उठा.

    इस बर्बर हमले के पीछे जिस मानसिकता और विचारधारा का हाथ है, वह केवल आतंकवाद की नहीं, बल्कि दशकों से फैले एक गहरे सांप्रदायिक जहर की भी कहानी कहती है — जिसकी जड़ें पाकिस्तान की सत्ता, सेना और धार्मिक कट्टरपंथ से जुड़ी हैं.

    ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के अड्डों पर भारत का सीधा वार

    भारत ने इस हमले का जवाब उसी भाषा में दिया, जिसे दुश्मन समझता है. मई 2025 में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के भीतर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. जब पाकिस्तान ने जवाबी हमले की असफल कोशिश की और भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना चाहा, तो भारत ने इससे भी कठोर कदम उठाया. भारतीय वायुसेना ने 11 पाकिस्तानी एयरबेस को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया.

    इस मुंहतोड़ जवाब के बाद पाकिस्तान सरकार और सेना बैकफुट पर आ गई. प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने तत्काल सीजफायर की गुहार लगाई, जिसे भारत ने अपनी शर्तों पर स्वीकार किया.

    मुनीर-लादेन को जोड़ता एक खतरनाक इतिहास

    इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का एक साम्प्रदायिक बयान भी है, जिसने इस आतंकी हमले की पृष्ठभूमि तैयार की. 13-16 अप्रैल के बीच इस्लामाबाद में हुए प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन के दौरान मुनीर ने ‘टू स्टेट थ्योरी’ का हवाला देते हुए हिन्दू और मुसलमानों के बीच नफरत का जहर घोला. उन्होंने कहा, “हम हर तरह से हिंदुओं से अलग हैं. हमारा धर्म, हमारी संस्कृति, सोच और उद्देश्य अलग हैं.”

    उनकी इस जहरीली सोच ने बैसरन घाटी में हुए नरसंहार को वैचारिक समर्थन दिया, ठीक वैसे ही जैसे 1999 में ओसामा बिन लादेन ने भारत और अमेरिका को दुश्मन बताते हुए आतंक का एलान किया था.

    कारगिल युद्ध में भी लादेन का साया

    इतिहास गवाह है कि कारगिल युद्ध (1999) के दौरान अल-कायदा से जुड़े आतंकियों ने भी पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर भारतीय सेनाओं पर हमला किया था. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पहले भी लादेन और पाकिस्तान की ISI के बीच गहरे संबंधों की खबरें मिल चुकी थीं. अब एक बार फिर उसी मानसिकता के तहत भारत पर वार किया गया.

    लादेन की विरासत आज भी ज़िंदा?

    सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि आज पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता DG-ISPR लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी, उस व्यक्ति के बेटे हैं जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2001 में आतंकवादियों की सूची में रखा था — महमूद सुल्तान बशीरुद्दीन, जिसने कथित तौर पर ओसामा बिन लादेन को परमाणु हथियारों की जानकारी दी थी. यह न केवल पाकिस्तान की सैन्य और आतंकी गठजोड़ की गहराई को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह एक संकीर्ण विचारधारा की जड़ें पीढ़ी दर पीढ़ी संस्थागत रूप ले चुकी हैं.

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