Killer Telephone: टेलीफोन का इस्तेमाल आमतौर पर लोगों को जोड़ने और बातचीत के लिए किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक टेलीफोन इतिहास के सबसे क्रूर नरसंहारों का आदेश देने का साधन भी बन सकता है? यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि दूसरे विश्व युद्ध के समय की एक भयावह सच्चाई है, जिसका कनेक्शन तानाशाह एडोल्फ हिटलर से है.
नीलामी में बिका ‘मौत का फोन’
यह वही टेलीफोन है, जिसे 2017 में अमेरिका में नीलामी के दौरान लगभग दो करोड़ रुपये में बेचा गया था. यह फोन किसी आम इंसान का नहीं, बल्कि जर्मनी के तानाशाह हिटलर का था. इसे दूसरे विश्व युद्ध के अंत यानी 1945 में बर्लिन के बंकर से बरामद किया गया था, जहां हिटलर ने अपनी जिंदगी के आखिरी दिन बिताए थे.
हिटलर का रेड टेलीफोन
मूल रूप से यह फोन काले रंग का था, जिसे बाद में लाल रंग में रंगा गया. इस पर हिटलर का नाम और स्वास्तिक चिन्ह भी उकेरा गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिटलर को यह फोन वेरमेच सेना ने दिया था. बताया जाता है कि इसी फोन के ज़रिए हिटलर ने अपने नाजी सैनिकों को आदेश दिए, जिनके बाद यहूदियों और अन्य बंधकों की निर्मम हत्या की जाती थी या तो गैस चेंबर में जलाकर या सीधे गोली मारकर मौत के घाट उतारा जाता था.
ऑस्त्विज कैंप और लाखों की मौत
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की नाजी सेना ने पोलैंड में ऑस्त्विज कैंप नामक एक भयानक यातना शिविर बनाया था. इतिहासकार मानते हैं कि वहां करीब 10 लाख लोगों की जान ली गई, जिनमें अधिकतर यहूदी समुदाय के लोग थे. हिटलर की यह नफ़रत और निर्दयता उस फोन से निकले हर आदेश में झलकती थी.
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