तेहरान: मध्य पूर्व में जारी बढ़ते तनाव के बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि अमेरिका से सैन्य सहायता की मांग इजरायल की “कमजोरी” का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में अगर ईरानी जनता हिम्मत बनाए रखे, तो यह लड़ाई ईरान के पक्ष में झुक सकती है.
डर दिखाओगे, तो दुश्मन पीछे नहीं हटेगा- खामेनेई
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए एक संदेश में खामेनेई ने कहा, "अगर दुश्मन को यह एहसास हो गया कि आप भयभीत हैं, तो वे आपको नहीं छोड़ेंगे. अब तक आप जिस साहस से डटे हैं, उसे बनाए रखें. अल्लाह की मदद से, जीत सच और इंसाफ की होगी."
उन्होंने कुरान का हवाला देते हुए इसे “सच्चाई की जीत का समय” बताया और राष्ट्र से एकजुटता और आत्मबल बनाए रखने की अपील की.
ईरान बिना शर्त आत्मसमर्पण करे- ट्रंप
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिए बयान में कहा कि ईरान को “बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण करना चाहिए.” यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका लगातार इस क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है. तीन अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप मिडिल ईस्ट की ओर भेजे जा चुके हैं.
रूस और चीन ने इजरायल की निंदा की
अमेरिका की सैन्य सक्रियता के बाद रूस और चीन की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रियाएं आई हैं.
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा, "अगर अमेरिका ने इस क्षेत्र में सीधे सैन्य हस्तक्षेप किया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं."
इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आपसी बातचीत में इजरायल द्वारा ईरानी ठिकानों पर की गई कार्रवाई की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करार दिया और संयम बरतने की अपील की.
कूटनीतिक असंतुलन या युद्ध की आहट?
इजरायल की ओर से अमेरिकी सहयोग का आग्रह, ईरान की प्रतिक्रिया, और रूस-चीन की तीव्र कूटनीतिक आपत्तियाँ यह दर्शाती हैं कि मिडिल ईस्ट एक भूराजनीतिक विस्फोटक क्षेत्र में तब्दील हो गया है.
हालांकि सभी प्रमुख पक्ष सीधे युद्ध से बचना चाहते हैं, लेकिन हालिया सैन्य जमावट और राजनीतिक बयानों से स्पष्ट है कि आने वाले दिन गंभीर वैश्विक निर्णयों की मांग करेंगे.
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