अमेरिका ने तबाह कर दिया परमाणु ठिकाना, फिर भी ट्रंप का नाम लेने में कांप रहे खामेनेई, क्या है डर की वजह?

    सैन्य कार्रवाई के बाद सबकी निगाहें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर थीं — और उन्होंने चौंकाते हुए अमेरिका का नाम लेने से परहेज़ किया.

    Khamenei trembles at the mention of Trumps name
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    तेहरान: पश्चिम एशिया एक बार फिर संकट के मुहाने पर खड़ा है. हाल ही में अमेरिका ने ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत ईरान की तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं — फोर्दो, इस्फहान और नतांज — पर हमला किया, जिसे अब तक का सबसे साहसी और विवादित सैन्य अभियान माना जा रहा है. इस हमले ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को गहरा झटका दिया है.

    लेकिन इस सैन्य कार्रवाई के बाद सबकी निगाहें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर थीं — और उन्होंने चौंकाते हुए अमेरिका का नाम लेने से परहेज़ किया.

    खामेनेई की रणनीतिक चुप्पी या सियासी विवशता?

    ईरानी सुप्रीम लीडर ने एक तीखा बयान तो दिया, लेकिन वह पूरा इज़राइल पर केंद्रित था, "ज़ायोनिस्ट दुश्मन ने एक बड़ी गलती की है, जिसे इसकी सज़ा मिल रही है — और आगे भी मिलती रहेगी."

    अमेरिका जैसे प्रत्यक्ष हमलावर के नाम का उल्लेख न करना केवल एक चूक नहीं, बल्कि शायद एक रणनीति है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह ‘लक्षित जवाब’ (calibrated response) की नीति का हिस्सा है, जहां ईरान अपने आक्रोश को सीमित दायरे में रखकर, पूर्ण युद्ध से बचने की कोशिश कर रहा है.

    अंडरग्राउंड बंकर और अस्थिर कमान संरचना

    ईरानी सूत्रों के अनुसार, 86 वर्षीय खामेनेई वर्तमान में एक अज्ञात भूमिगत ठिकाने में हैं. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक संचार पूरी तरह बंद कर दिए हैं और अपने भरोसेमंद सहयोगियों के माध्यम से सैन्य संचालन संभाल रहे हैं.

    यह ईरानी सत्ता संरचना के भीतर एक असामान्य स्थिति है और यह संकेत देती है कि देश के भीतर भी अस्थिरता बढ़ रही है. कुछ वरिष्ठ कमांडरों के मारे जाने की पुष्टि ने इस अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है.

    क्या खामेनेई उत्तराधिकार की तैयारी कर रहे हैं?

    खबरों के मुताबिक, खामेनेई ने अपने शासनकाल में पहली बार संकेत दिए हैं कि उनकी मृत्यु की स्थिति में ईरान का ‘असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स’ तीन संभावित उत्तराधिकारियों में से एक को सुप्रीम लीडर नियुक्त कर सकता है. यह न सिर्फ उनकी बढ़ती उम्र की चिंता का संकेत है, बल्कि इस बात का भी कि वर्तमान संकट को वे ऐतिहासिक मोड़ मान रहे हैं.

    अमेरिकी कार्रवाई का मकसद:

    पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि, "ईरान की परमाणु क्षमताओं को निर्णायक रूप से समाप्त करना आवश्यक था. अब भी अगर ईरान पीछे नहीं हटता, तो उसे और गंभीर परिणाम भुगतने होंगे."

    इस हमले के बाद, वॉशिंगटन ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि यदि तेहरान आगे भी परमाणु महत्वाकांक्षाएं रखता है, तो अमेरिकी प्रतिक्रिया और अधिक कठोर हो सकती है.

    ईरान की प्रतिक्रिया सीमित लेकिन सटीक

    ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की और इज़राइल की ओर कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिससे कई लोग घायल हुए. इसके बाद इज़राइल ने जवाबी हवाई हमले किए जिनमें ईरान के कई सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा.

    अब तक की घटनाओं से यह साफ है कि दोनों पक्षों में पूर्ण युद्ध से बचने की एक अनकही इच्छा है, लेकिन हालात बेहद नाज़ुक हैं.

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