ट्रंप के खौफ से बैकफुट पर आए खामेनेई, हूतियों को कर दिया 'अनाथ'; क्या अमेरिका को बना लेंगे 'माई-बाप'?

अमेरिकी हमलों की तीव्रता और अपने लिए बढ़ते खतरे को भांपते हुए ईरान ने बड़ा फैसला लिया है. तेहरान ने हूती विद्रोहियों को बैकडोर से दी जा रही मदद को बंद कर दिया.

Khamenei fear of Trump made Houthis orphan America
ट्रंप-खामेनेई | Photo: ANI

यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. एक ओर अमेरिका लगातार हवाई हमलों से उनकी ताकत को कमजोर कर रहा है, तो दूसरी ओर उनका सबसे बड़ा सहारा ईरान भी अब पीछे हट गया है. बदलते हालात में हूतियों का भविष्य अधर में लटक गया है, और यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनका अंत अब करीब है?

ईरान का यू-टर्न: हूतियों से दूरी की वजह

अमेरिकी हमलों की तीव्रता और अपने लिए बढ़ते खतरे को भांपते हुए ईरान ने बड़ा फैसला लिया है. तेहरान ने हूती विद्रोहियों को बैकडोर से दी जा रही मदद को बंद कर दिया और अपने सैन्यकर्मियों को यमन से वापस बुला लिया. एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी के मुताबिक, यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि अमेरिका के साथ सीधा टकराव टाला जा सके. अगर यमन में कोई ईरानी सैनिक मारा जाता, तो यह स्थिति ईरान के लिए और जटिल हो सकती थी. यह फैसला उस वक्त आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को बमबारी की खुली धमकी दी है. अब ईरान अपनी रणनीति बदल रहा है और हूतियों को समर्थन देने के बजाय क्षेत्र में अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है.

अमेरिका का आक्रामक रुख

अमेरिकी सेना ने हूती ठिकानों पर हमलों की रफ्तार तेज कर दी है. पिछले महीने एक ग्रुप चैट से हमलों की योजना लीक होने के बाद ये कार्रवाइयां और बढ़ गई हैं. अमेरिका का दावा है कि हूती विद्रोही उसके युद्धपोतों पर हमले कर रहे हैं, जिससे समुद्री सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह ईरान और उसके सहयोगियों को कड़ा संदेश देना चाहता है. इन हमलों का मकसद न सिर्फ हूतियों को कमजोर करना है, बल्कि ईरान पर भी दबाव बनाना है. ट्रंप ने सैन्य ताकत बढ़ाकर इस संदेश को और मजबूत किया है.

हूतियों का ढहता किला

ईरान के एक अधिकारी ने कहा कि हूती अब अपने आखिरी दिन गिन रहे हैं. यमन में उनकी ताकत तेजी से घट रही है, और ऐसे में उन्हें समर्थन देना ईरान के लिए फायदेमंद नहीं रह गया है. ईरान पहले ही हिज्बुल्लाह और सीरिया की असद सरकार जैसे सहयोगियों से दूरी बना चुका है. उसका मानना है कि हूतियों को छोड़ देने से उनका अंत जल्द हो सकता है. दूसरी तरफ, अमेरिका का कहना है कि हूतियों ने उसके जहाजों को निशाना बनाकर अपनी मुश्किलें और बढ़ा ली हैं. 

बदलता खेल

यह घटनाक्रम मध्य पूर्व के समीकरण को नए सिरे से प्रभावित कर रहा है. ईरान का पीछे हटना और अमेरिका का आक्रामक रुख हूतियों के लिए दोहरी मार साबित हो रहा है. क्या यह हूती विद्रोह का अंतिम अध्याय है, या फिर यह संकट क्षेत्र में नई अस्थिरता को जन्म देगा? यह वक्त ही बताएगा.

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