केरल के कन्नूर जिले के उलिककल गांव में एक बहुत ही भावुक कर देने वाली घटना घटी. यहां गांव के लोगों ने एक छोटी सी गौरैया (चिड़िया) की जान बचाने के लिए मिलकर प्रयास किया.
दरअसल, ये गौरैया एक बंद पड़ी कपड़े की दुकान में फंस गई थी. यह दुकान पिछले छह महीनों से बंद थी क्योंकि इसके मालिकों के बीच कोर्ट में विवाद चल रहा था. दुकान के सामने कांच लगा था, और गौरैया एक पाइप के छेद से अंदर चली गई थी. लेकिन जब वह बाहर निकलने की कोशिश करती, तो कांच से टकरा जाती और बाहर नहीं निकल पाती.
गौरैया को रोज़ दाना और पानी देना शुरू कर दिया
गांव वालों ने जब गौरैया को दुकान के अंदर देखा तो वे बहुत परेशान हो गए, लेकिन दुकान कोर्ट के आदेश से सील थी, इसलिए कोई भी उसे खोल नहीं सकता था. फिर भी लोगों ने हार नहीं मानी. उन्होंने उसी पाइप के जरिए गौरैया को रोज़ दाना और पानी देना शुरू कर दिया, ताकि वो भूखी न रहे.
धीरे-धीरे इस घटना की खबर फैल गई और जिला कलेक्टर अरुण के विजयन को इसके बारे में पता चला. उन्होंने जिला जज निसार अहमद से बात की. जज अहमद ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और हाईकोर्ट के जजों मोहम्मद मुश्ताक और रवि से इजाजत लेकर दुकान खोलने की अनुमति ली.
48 किलोमीटर दूर थलास्सेरी से आए जज
जज निसार अहमद खुद 48 किलोमीटर दूर थलास्सेरी से आए और अपनी निगरानी में दुकान को खुलवाया. जैसे ही दुकान खुली, एक गांव वाले ने गौरैया को आज़ाद कर दिया. वहां खड़े लोगों ने तालियों से इस खूबसूरत पल का स्वागत किया.
जज अहमद ने कहा, “कानून को कभी भी जीवन बचाने के रास्ते में नहीं आना चाहिए, चाहे वो इंसान का जीवन हो या किसी और प्राणी का.” उन्होंने गांव वालों की एकता और दयालुता की खूब सराहना की और कहा कि इस छोटे से बचाव ने हमें इंसानियत का एक बड़ा सबक सिखाया है.
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