Kapkapi Movie Review: कुछ फिल्में दिमाग लगाने के लिए बनती हैं, कुछ दिल छूने के लिए... और फिर आती हैं ऐसी फिल्में जो बस हँसी और मस्ती के लिए होती हैं. कपकपी उन्हीं में से एक है. एक ऐसी फिल्म जो हॉरर और कॉमेडी को इतने मजेदार तरीके से मिलाती है कि आप डरते भी हैं और हँसते भी, वो भी एक ही सीन में.
कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी
कहानी छह बेरोज़गार दोस्तों की है, जो एक किराए के मकान में रहते हैं. दिन भर आलसीपन, चाय, कैरम और टटपुंजिया सपनों के साथ उनकी जिंदगी चल रही होती है. इसी में से एक है मनु (श्रेयस तलपड़े), जो मज़ाक-मज़ाक में कैरम बोर्ड को ओइजा बोर्ड समझ बैठता है और ‘भूत बुलाने की पार्टी’ रख देता है. सबकुछ हँसी-ठिठोली में चल रहा होता है... लेकिन असली मज़ा तो तब शुरू होता है जब एक भूत सच में आ जाती है. ‘अनामिका’.
अब ये भूत डराती कम है, परेशान ज्यादा करती है. और तभी आता है कबीर (तुषार कपूर) — जो सिर्फ कुछ दिन की शांति के लिए इस घर में आता है, लेकिन बेचारा खुद ही भूत की कॉमिक दुनिया में फँस जाता है. पूरी फिल्म इस झमेले के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां किरदार डरते हैं, लेकिन दर्शक हँसते हैं — और दिल से हँसते हैं.
श्रेयस की कॉमिक टाइमिंग और मजेदार डायलॉग
श्रेयस तलपड़े की कॉमिक टाइमिंग इस फिल्म की जान है. वो हर सीन में एक्सप्रेशन और पंचलाइन से जान डाल देते हैं. तुषार कपूर एक बार फिर अपने पुराने ‘गोलमाल’ वाले अंदाज़ में वापसी करते हैं और खूब हँसाते हैं. साथ में सिद्धि इडनानी, सोनिया राठी, और बाकी सह-कलाकार भी अपनी-अपनी जगह खूब जमे हैं. किसी का किरदार छोटा नहीं लगता, और हर एक अपने हिस्से की हँसी पूरी तरह डिलीवर करता है.
फिल्म के डायलॉग्स मजेदार हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात ये कि कहीं भी मज़बूरी या ओवरएक्टिंग महसूस नहीं होती. हँसी नैचुरल लगती है, और डर भी हल्के-फुल्के तरीके से पेश किया गया है. ऐसा डर, जो बच्चों को भी डरा नहीं पाए, लेकिन हर उम्र के दर्शक को हँसा दे.
मलायलम फिल्म का रिमेक
निर्देशक संगीथ सिवन ने इसे बहुत स्मार्टली हैंडल किया है. हालांकि फिल्म एक मलयालम फिल्म की ऑफिसियल रीमेक हैं, लेकिन हिंदी रीमेक का ट्रीटमेंट बिलकुल अलग और फ्रेश है. ये उनकी आखिरी फिल्म है, और कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने जाते-जाते एक ऐसी फिल्म दी है जिसे देखना एक खुशगवार अनुभव बन जाता है. अगर आप वीकेंड पर दिमाग खाली करना चाहते हैं और दो घंटे की बेफिक्र हँसी चाहिए — तो कपकपी आपके लिए एकदम सही है. तो बस दिमाग़ घर पे छोड़िए, पॉपकॉर्न साथ लीजिए और इस मजेदार डर से मिलने थिएटर में घुस जाइए — हँसी पक्की है.
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