'तुम गंदे वीडियो देखते हो'.. पुलिस ऑफिसर बनकर लोगों से ठगी, फिर एक कॉल ने खोल दी पोल

    कानपुर में एक संगठित साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराया और उनसे पैसे वसूले. यह गिरोह न केवल लोगों को डराने के लिए पुलिस की सूरत-शक्ल अपनाता था, बल्कि उनके फोन कॉल्स में पुलिस सायरन की आवाज भी बजाकर शिकार को और भी घबराया हुआ बना देता था.

    Kanpur police arrested five members of a gang that used to cheat people by threatening them with defamation and arrest
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    Kanpur News: कानपुर में एक संगठित साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराया और उनसे पैसे वसूले. यह गिरोह न केवल लोगों को डराने के लिए पुलिस की सूरत-शक्ल अपनाता था, बल्कि उनके फोन कॉल्स में पुलिस सायरन की आवाज भी बजाकर शिकार को और भी घबराया हुआ बना देता था. यह ठगी का मामला तब सामने आया, जब श्रावस्ती जिले के रहने वाले प्रमोद कुमार को एक कॉल आई और उन्होंने खुद को कानपुर का डीसीपी क्राइम बताते हुए प्रमोद को धमकाया कि उसके खिलाफ अश्लील वीडियो देखने का आरोप है और यदि उसे गिरफ्तार होने से बचना है तो उसे पैसे ट्रांसफर करने होंगे.

    कॉल से लेकर डर तक.. ऐसे करते थे ठगी

    प्रमोद कुमार को जब यह कॉल आई, तो कॉलर ने खुद को कानपुर से डीसीपी क्राइम बताते हुए कहा कि उनके मोबाइल डेटा की जांच में आपत्तिजनक वीडियो पाया गया है. इसके बाद, ठग ने धमकी दी कि अगर प्रमोद को जेल से बचना है तो उसे पैसे देने होंगे. डर के कारण प्रमोद ने शुरुआत में इसे सच मान लिया और ठगों को पैसे ट्रांसफर कर दिए. हालांकि बाद में उन्होंने इस बात को अपने एक जानकार से साझा किया, जिसने उन्हें बताया कि यह पूरी तरह से साइबर ठगी का हिस्सा था. प्रमोद ने तुरंत कानपुर साइबर क्राइम पुलिस से संपर्क किया और मामला दर्ज करवाया.

    ठग गिरोह का खुलासा और गिरफ्तारी

    इस घटना की जांच शुरू होते ही पुलिस ने पाया कि यह एक संगठित गिरोह था, जो पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को ठगता था. पुलिस ने इस गिरोह के पांच मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें दो सगे भाई भी शामिल थे. आरोपी कानपुर देहात के विभिन्न जंगलों और खेतों में बैठकर लोगों को ठगने का काम करते थे. गिरोह के सदस्य एक ओर फोन पर खुद को डीसीपी क्राइम के रूप में पेश करते थे, वहीं दूसरी ओर मोबाइल पर पहले से सेव की गई पुलिस सायरन की आवाज़ और वाहनों के हॉर्न बजाकर शिकार को यह विश्वास दिलाते थे कि पुलिस उनके घर पहुंच चुकी है. इस तरीके से वे लोगों से पैसे मांगते थे.

    पैसे की वसूली का तरीका

    इन ठगों का तरीका अब पहले से कहीं ज्यादा तकनीकी और सूझ-बूझ से भरा हुआ था. वे पीड़ित से क्यूआर कोड, यूपीआई आईडी या ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से पैसे मांगते थे. प्रमोद से 46 हजार रुपये की वसूली के बाद, जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह ने पहले भी लगभग सात लोगों को इसी तरह निशाना बनाया था.

    शिकार को कैसे फंसाते थे ठग?

    ठग पहले शिकार को कॉल करते थे और उस पर अश्लील वीडियो देखने का आरोप लगाते थे. इसके बाद, गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे ट्रांसफर करने की धमकी दी जाती थी. ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर और पुलिस की आवाज़ें बजाकर शिकार को डराते थे और इस डर का फायदा उठाकर उनसे पैसे वसूलते थे.

    ठगों का शैक्षिक और तकनीकी ज्ञान

    पुलिस के अनुसार, इस गिरोह में सबसे अधिक शिक्षित सदस्य पंकज सिंह था, जो बीए पास था. बाकी सदस्य, जैसे अमन और विनय, इंटर तक पढ़े थे, और सुरेश केवल आठवीं कक्षा तक पढ़े थे. इन आरोपियों को पुलिस की गश्ती और अधिकारियों की तैनाती की जानकारी अखबारों और सोशल मीडिया से मिलती थी, जिसके आधार पर वे खुद को कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी बना लेते थे. डीसीपी अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि इस गिरोह ने उनके नाम का भी दुरुपयोग किया और कई लोगों से ठगी की.

    पुलिस की कार्रवाई और अभी भी कुछ फरार

    पुलिस ने गिरोह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं. पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है और उन्हें जल्द ही पकड़ने की उम्मीद है. इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर ठगी अब और भी जटिल हो गई है, और ऐसे ठग अब अधिक तकनीकी और मानसिक रूप से शिकार करने में माहिर हो गए हैं.

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