30 और 31 जुलाई 2025 की रात यूक्रेन के लिए खौफनाक बन गई. राजधानी कीव और देश के उत्तरी इलाकों पर आसमान से तबाही बरसी, लेकिन इस बार धमाकों के साथ एक नई आवाज भी गूंजी जेट इंजन की गरज. रूस ने पहली बार बड़े पैमाने पर ‘गेरान-3’ नाम के एक बेहद तेज़ और खतरनाक जेट-पावर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया. ये हमला न सिर्फ रणनीतिक था, बल्कि यूक्रेनी हवाई रक्षा के लिए एक नई चुनौती भी बनकर उभरा.
यूक्रेनी वायुसेना के प्रवक्ता यूरी इह्नाट ने पुष्टि की कि रूस ने ईरान के शाहेद-238 ड्रोन की तकनीक पर आधारित इस हथियार को कीव की ओर भेजा. कुल 78 ड्रोन छोड़े गए, जिनमें से 8 ड्रोन जेट-इंजन से लैस थे और यही थे गेरान-3.
गेरान-3: सिर्फ ड्रोन नहीं, हवा में उड़ती हुई मिसाइल
रूसी सैन्य तकनीक ने शाहेद-136 जैसे पारंपरिक ड्रोन से आगे बढ़ते हुए गेरान-3 को विकसित किया है. एक ऐसा ड्रोन जो जेट इंजन की मदद से लगभग मिसाइल की तरह उड़ान भरता है. जानिए इसकी खतरनाक क्षमताएं.
- उड़ान की रफ्तार: 600 किलोमीटर प्रति घंटा, यानी पारंपरिक ड्रोन से तीन गुना तेज़
- अधिकतम ऊंचाई: 9,000 मीटर — जहां आमतौर पर एंटी-एयरक्राफ्ट बंदूकें नहीं पहुंच पातीं
- वज़न और आयाम: लगभग 380 किलोग्राम वज़न, 3.5 मीटर लंबाई और 3 मीटर विंगस्पैन
- ध्वनि प्रभाव: तेज़ इंजन शोर इसे ट्रैक करना मुश्किल बनाता है — पर इस डरावनी आवाज़ से ही कई लोग जाग जाते हैं
- वारहेड क्षमता: 50 से 300 किलोग्राम तक विस्फोटक — थर्मोबैरिक चार्ज से लैस होने की संभावना
- इंजन: रूसी-निर्मित टोलू-10 और टोलू-13 इंजन, जो चेक गणराज्य के PBS TJ100 और TJ150 का क्लोन हैं
गेरान-3 ट्रक से या सॉलिड फ्यूल बूस्टर के जरिए लॉन्च होता है और करीब 2 घंटे तक हवा में रह सकता है. जून 2025 में इसके मलबे की पहचान की गई थी, जिन पर सीरियल नंबर U-36 पाया गया — संकेत था कि यह अलाबुगा ज़ोन (तातारस्तान) में निर्मित हुआ.
रूस का हमला: सिर्फ हमला नहीं, एक रणनीति
30-31 जुलाई की रात का हमला सिर्फ जेट ड्रोन से नहीं था. इसके साथ इस्कंदर-के क्रूज मिसाइलें, डेकोय UAVs और पारंपरिक शाहेद ड्रोन भी शामिल थे. उद्देश्य था — यूक्रेनी रक्षा को उलझाना, भ्रमित करना और थका देना.
कुल 78 ड्रोन छोड़े गए
- 8 गेरान-3 जेट ड्रोन — पहली बार बड़े स्तर पर
- 8 क्रूज मिसाइलें और डेकोय UAVs भी साथ
- यूक्रेनी जवाब: 51 ड्रोन इंटरसेप्ट, फिर भी 13 मौतें और 130 से ज़्यादा घायल. सबसे बड़ा टारगेट रहा कीव, लेकिन हमला बहु-आयामी था — जिसमें इलेक्ट्रॉनिक जामिंग, मिसाइल फायरिंग और एयर डिफेंस का टेस्ट लिया गया.
यूक्रेनी डिफेंस के लिए नया सिरदर्द क्यों बना गेरान-3?
- बहुत तेज़ है: रफ्तार 500–600 किमी/घंटा होने से ये मिसाइल जैसा दिखता है, जिसे रडार और सिस्टम आसानी से वर्गीकृत नहीं कर पाते
- बहुत ऊंचा उड़ता है: 9,000 मीटर की ऊंचाई से पारंपरिक गन या MANPADs का असर नहीं होता
- छोटा दिखता है: इसका रडार क्रॉस-सेक्शन बहुत छोटा है सिर्फ 0.05 वर्ग मीटर
- भ्रम फैलाने वाली रणनीति: धीमे ड्रोन, तेज़ ड्रोन, मिसाइलें सब एक साथ छोड़े जा रहे हैं. यूक्रेनी मोबाइल फायर टीमें जो मशीनगनों और छोटे हथियारों पर निर्भर हैं, वो इस ड्रोन को रोक नहीं पा रहीं. सिर्फ स्टिंगर या पियोरुन जैसे हीट-सीकिंग मिसाइल ही इसका जवाब हो सकते हैं लेकिन वो भी सीमित संख्या में हैं.
गेरान-3 के वैरिएंट: सिर्फ उड़कर गिराने वाला ड्रोन नहीं
रूस इस ड्रोन के कई एडवांस वर्जन पर काम कर चुका है
- GPS-GLONASS गाइडेड वर्जन: बेसिक नेविगेशन
- इन्फ्रारेड वर्जन: गर्मी वाले टारगेट को खोजता है (जैसे रडार या इंजन)
- रडार होमिंग: दुश्मन के एयर डिफेंस को निशाना बनाता है
- इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल वर्जन: कैमरा आधारित गाइडेंस रियल टाइम डेटा देता है. हालांकि हवा से लॉन्च करने के प्रमाण अभी नहीं मिले, लेकिन भविष्य में यह भी संभव है.
- रूस की निर्माण रणनीति: सस्ते ड्रोन, भारी नुकसान
- अलाबुगा प्रोजेक्ट: रूस-ईरान साझेदारी का केंद्र, जहां अब घरेलू निर्माण पर जोर
- विदेशी पार्ट्स: कई सिविलियन कंपोनेंट्स कनाडा, अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड से, सैंक्शंस को दरकिनार कर
- लागत अंतर: शाहेद-136 सिर्फ $50,000 तक का, लेकिन गेरान-3 की अनुमानित कीमत $1.4 मिलियन तक
- उत्पादन धीमा: भारी बॉडी, जेट इंजन और विदेशी निर्भरता के चलते महीने में सीमित यूनिट्स रूस का प्लान है कि कुल मिलाकर हर महीने 2000–5000 ड्रोन बनाए जाएं, लेकिन गेरान-3 जैसे जेट मॉडल्स की संख्या अभी कम ही रहेगी.
यूक्रेन की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौती
यूक्रेन अब इस चुनौती से निपटने के लिए नई रणनीतियों पर काम कर रहा है. इंटरसेप्टर FPV ड्रोन: तेजी से बनाए जा रहे हैं, लेकिन जेट ड्रोन के लिए सीमित कारगर, पश्चिमी हथियारों की मांग: AIM-120, साइडवाइंडर, MICA जैसी मिसाइलें कारगर, लेकिन बेहद महंगी, लागत का टकराव: $1.4 मिलियन का ड्रोन गिराने के लिए $4 मिलियन की पैट्रियट मिसाइल इस्तेमाल करना अस्थिर रणनीति, राजनीतिक चेतावनी: जेलेंस्की और डिजिटल मंत्री फेडोरोव ने रूस की रणनीति को "लंबी लड़ाई का संकेत" बताया.
यह भी पढ़ें: किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसने उड़ा दी जेलेंस्की की रातों की नींदे; जानें ताकत