किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसने उड़ा दी जेलेंस्की की रातों की नींदे; जानें ताकत

    यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर रूस ने एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत का ऐसा प्रदर्शन किया है, जिससे पश्चिमी देशों की नींद उड़ गई है. ताजा घटनाक्रम में रूसी वायुसेना ने यूक्रेन के खमेलनित्सकी इलाके में एयरबेस को निशाना बनाते हुए खतरनाक ‘किंजल’ (Kinzhal) हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया.

    Kinzhal Missile attack on ukraine by russia
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    यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर रूस ने एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत का ऐसा प्रदर्शन किया है, जिससे पश्चिमी देशों की नींद उड़ गई है. ताजा घटनाक्रम में रूसी वायुसेना ने यूक्रेन के खमेलनित्सकी इलाके में एयरबेस को निशाना बनाते हुए खतरनाक ‘किंजल’ (Kinzhal) हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया. इस हमले के बाद एक बार फिर यह मिसाइल चर्चा में है. आखिर ऐसा क्या है इसमें जो इसे यूक्रेनी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रोकना नामुमकिन बना देता है?

    दरअसल रूस के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी कि यूक्रेनी सैन्य ठिकानों पर एक बड़े हवाई हमले के दौरान किंजल के साथ-साथ अन्य एरियल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. 


    क्यों खास है यह हमला?

    यूक्रेनी प्रशासन के मुताबिक, यह हमला खमेलनित्सकी क्षेत्र में हुआ और इसके बाद इलाके में काफी देर तक धमाकों की गूंज सुनाई दी. 3 साल से अधिक समय से जारी इस जंग में किंजल का उपयोग अब तक काफी सीमित रहा है, ऐसे में इसे फिर से उपयोग में लाना रूस की आक्रामक रणनीति का संकेत माना जा रहा है.

    क्या है किंजल मिसाइल

    2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा पेश की गई Kh-47M2 किंजल मिसाइल रूस की एक उन्नत और अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसे इस्कंदर-एम बैलिस्टिक मिसाइल से विकसित किया गया है. इसका डिज़ाइन ऐसा है कि यह दुश्मन के डिटेक्शन सिस्टम्स को चकमा देने में सक्षम है.

    इसकी जानलेवा खूबियां

    परमाणु और पारंपरिक दोनों हथियार ले जाने में सक्षम  यह मिसाइल करीब 480 किलो वजन तक के वॉरहेड को ढो सकती है, जिसमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं.

    स्पीड और रेंज: किंजल की रफ्तार माक 10 तक यानी ध्वनि की गति से 10 गुना तेज है. इसकी रेंज 1,500 से 2,000 किलोमीटर तक है.

    एयर लॉन्च क्षमता: इसे MiG-31K और Tu-22M3 जैसे फाइटर जेट्स से दागा जा सकता है, जिससे यह कहीं से भी फुर्ती के साथ हमला करने में सक्षम बन जाती है.

    रडार को मात देने की ताकत: दिशा और गति को तुरंत बदलने की क्षमता इसे रडार की पकड़ से बाहर रखती है. रूस का दावा है कि NATO समेत किसी भी आधुनिक सिस्टम के पास इसे रोकने का कोई उपाय नहीं है.

    NATO क्यों है चिंतित?

    रूस का दावा है कि किंजल मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों के लिए लगभग 'अदृश्य' है. इसकी हाइपरसोनिक स्पीड और उड़ान के दौरान मार्ग बदलने की क्षमता इसे इतना खतरनाक बनाती है कि समय रहते इसे ट्रैक करना और रोकना लगभग असंभव हो जाता है. यही कारण है कि जब भी इस मिसाइल का नाम सामने आता है, NATO जैसे संगठन सतर्क हो जाते हैं.

    रूसी रणनीति के पीछे की सोच

    किंजल मिसाइल को बनाने का उद्देश्य सिर्फ तकनीकी श्रेष्ठता नहीं, बल्कि सामरिक दबदबा भी है. रूस ने इस मिसाइल को मुख्यतः पश्चिमी सैन्य ठिकानों, रडार सिस्टम्स और युद्धपोतों को टारगेट करने के लिए तैयार किया है. यह मिसाइल रूस को 'फर्स्ट स्ट्राइक' यानी पहले वार करने की ताकत देती है और साथ ही परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के युद्ध में इसकी उपयोगिता इसे बहुउद्देश्यीय हथियार बना देती है.

    क्या यूक्रेन के पास है इसका जवाब?

    अब तक की जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन या उसके सहयोगियों  अमेरिका और यूरोपीय देशों  के पास ऐसा कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है जो किंजल जैसे हाइपरसोनिक हथियार को इंटरसेप्ट कर सके. अमेरिका का THAAD या पैट्रियट सिस्टम भी ऐसी हाइपरस्पीड मिसाइलों के सामने कई बार असफल रहे हैं.

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