दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक की रक्षा रणनीति में भूचाल लाने वाली खबर सामने आई है. इंडोनेशिया ने चीन के बहुचर्चित J-10C लड़ाकू विमानों को दरकिनार करते हुए तुर्की के अत्याधुनिक KAAN फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट की खरीद पर मुहर लगा दी है. इस सौदे की पुष्टि खुद तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने की है, जिन्होंने इसे अपने देश के इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा समझौता करार दिया है.
चीन को करारा झटका, तुर्की की जीत
लंबे समय से चीन इंडोनेशिया को अपने J-10C फाइटर जेट बेचने के लिए प्रयासरत था. माना जा रहा था कि इंडोनेशिया या तो फ्रांस के राफेल या चीन के J-10C को खरीदेगा. लेकिन तुर्की के KAAN फाइटर जेट ने दोनों विकल्पों को पीछे छोड़ दिया और लगभग 10 अरब डॉलर की डील के तहत 48 KAAN फाइटर जेट इंडोनेशिया को बेचे जाएंगे.
यह डील सिर्फ एक खरीदारी नहीं, बल्कि एक सामरिक साझेदारी भी है. इसमें विमान के कुछ पुर्जों का निर्माण इंडोनेशिया में भी किया जाएगा, जिससे यह एक को-प्रोडक्शन मॉडल बन जाता है.
मुस्लिम देशों के लिए नया विकल्प बना KAAN
तुर्की का KAAN फाइटर जेट उन देशों के लिए एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है, जो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान चाहते हैं लेकिन अमेरिका, रूस या चीन से सामरिक कारणों से नहीं खरीद सकते. इस सूची में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मिस्र और मलेशिया जैसे देशों के नाम शामिल हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान को भी तुर्की ने KAAN प्रोजेक्ट में भागीदारी का प्रस्ताव दिया है, जिसे उसने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी भी दे दी है. हालांकि पाकिस्तान पहले से ही चीन के J-35 फाइटर जेट प्रोग्राम में शामिल है और जल्द डिलीवरी भी मिलने वाली है, इसलिए उसका KAAN में निवेश आर्थिक चुनौतियों से जुड़ा मामला है.
KAAN: तुर्की का गेमचेंजर लड़ाकू विमान
KAAN जिसे पहले TF-X कहा जाता था, एक फिफ्थ जनरेशन मल्टीरोल स्टेल्थ फाइटर है. इसकी खासियतें इस प्रकार हैं:
तुर्की की आत्मनिर्भरता का बड़ा कदम
KAAN को तुर्की की प्रमुख रक्षा कंपनियां ASELSAN, HAVELSAN और TAI विकसित कर रही हैं. तुर्की इसे अपने स्वदेशी इंजन से लैस करने की दिशा में भी काम कर रहा है. इसका मतलब है कि तुर्की भविष्य में अपने रक्षा उत्पादों के लिए किसी भी देश पर तकनीकी रूप से निर्भर नहीं रहेगा.
भारत के लिए बढ़ती चिंता
अगर पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश KAAN फाइटर जेट को अपने बेड़े में शामिल करते हैं, तो यह भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती बन सकती है. KAAN की स्टेल्थ क्षमताएं, लंबी दूरी की मिसाइल क्षमता और नेटवर्क-केंद्रित युद्धक रणनीति भारत की एयर डिफेंस को झकझोर सकती है.
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