पूर्वी एशिया में तनाव एक बार फिर चरम पर है. ताइवान के बाद अब जापान चीन की आक्रामकता का अगला निशाना बनता नजर आ रहा है. हाल ही में सामने आई एक घटना ने न केवल जापान की सैन्य सुरक्षा पर सवाल उठाए, बल्कि इस बात को भी उजागर किया कि चीन अब खुलकर अपने पड़ोसियों को डराने की रणनीति पर काम कर रहा है.
महज 45 मीटर दूर से गुजरा चीनी फाइटर जेट
जापानी नौसेना के अनुसार, चीन के जे-15 फाइटर जेट ने जापानी गश्ती विमान P-3C के बेहद करीब से उड़ान भरी. दोनों विमानों के बीच दूरी महज 45 मीटर थी, जो किसी भी क्षण गंभीर टकराव में बदल सकती थी. यही नहीं, चीनी विमान ने लगभग 40 मिनट तक जापानी विमान का पीछा भी किया.
ये घटना प्रशांत महासागर की अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में घटी, जहां जापान की नौसेना, चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स की गतिविधियों की निगरानी कर रही थी. जापान ने इसे “गंभीर सुरक्षा चिंता” बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है.
चीन ने पहली बार भेजे अपने युद्धपोत
ये पहली बार है जब चीन ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर और युद्धपोतों को जापान के इतने करीब भेजा है. बीते सप्ताह जापान की सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह इस बात का संकेत है कि चीनी सेना का भौगोलिक प्रभाव अब लगातार बढ़ रहा है. हालांकि, चीन ने इस पूरी घटना को एक “सामान्य सैन्य अभ्यास” करार दिया है.
तनाव का पुराना इतिहास, दोहराई गई घटना
ऐसी घटनाएं पहली बार नहीं हुई हैं. साल 2014 में भी चीन का एक सुखोई-27 फाइटर जेट जापानी सैन्य विमान के महज 30 मीटर पास तक आ गया था. अब एक बार फिर वही खतरा सिर उठा रहा है.
टोक्यो विश्वविद्यालय के रक्षा विशेषज्ञ दैसुके कावेई मानते हैं कि चीन इस समय अमेरिका के साथ चल रहे तनाव का फायदा उठा रहा है. उनका कहना है कि चीन यह सोचता है कि ऐसे समय पर उसकी आक्रामक कार्रवाई पर अमेरिका कड़ी सैन्य प्रतिक्रिया नहीं देगा, और वह एशिया में अपनी सैन्य मौजूदगी का प्रभाव बढ़ाने में सफल रहेगा.
क्षेत्रीय शांति पर खतरा
भारत, फिलीपींस और ताइवान के बाद अब जापान के खिलाफ यह दुस्साहस, चीन की रणनीतिक मंशा को स्पष्ट करता है. वह न केवल अपने समुद्री पड़ोसियों को डराने की नीति अपना रहा है, बल्कि पूरे एशिया में सैन्य असंतुलन पैदा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
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