इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार एक कड़ा और चर्चित फैसला लेने जा रही है. देश की सत्तारूढ़ पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली (Brothers of Italy) ने यह ऐलान किया है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और नकाब जैसे कपड़ों को पहनने पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पेश करने की योजना बना रही है. पार्टी ने इस प्रस्तावित कानून को "इस्लामी अलगाववाद" के खिलाफ एक मजबूत कदम बताया है. यह कानून देश में बढ़ते सांस्कृतिक अलगाव और इस्लामी कट्टरता के प्रभाव को सीमित करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है.
इस प्रस्तावित कानून के अनुसार, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, मॉल, दुकानें और अन्य सभी सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा और शरीर ढकने वाले कपड़े जैसे बुर्का या नकाब पहनने पर प्रतिबंध रहेगा. इसके उल्लंघन पर 300 यूरो से लेकर 3,000 यूरो (लगभग 27,000 से 3 लाख रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. पार्टी के सांसद एंडिया डेलमास्त्रो ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए बताया कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता का विरोध नहीं करता, लेकिन धार्मिक आस्था के नाम पर संविधान और राष्ट्रीय सिद्धांतों का उल्लंघन भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता का पालन वही तक मान्य है जहां तक वह देश के मूलभूत कानूनों और सांस्कृतिक ढांचे के अनुरूप हो.
मस्जिदों की फंडिंग और जबरन निकाह पर भी नजर
इस विधेयक में मस्जिदों की फंडिंग पर सख्त नियंत्रण का भी प्रस्ताव है. खासतौर पर विदेशी फंडिंग को लेकर सरकार गंभीर नजर आ रही है. साथ ही जबरन विवाह (Forced Marriage) पर भी कानून के तहत सख्ती की जाएगी. ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी की इमिग्रेशन प्रमुख सारा केलानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम एक ऐसा कानून ला रहे हैं जो मस्जिदों की फंडिंग को विनियमित करेगा, चेहरे को ढकने वाले नकाब पर रोक लगाएगा और जबरन शादी के खिलाफ कड़ा संदेश देगा." उन्होंने यह भी जोड़ा कि इटली में जो भी रहेगा, उसे इटली के कानून और मूल्यों के मुताबिक चलना होगा.
फ्रांस से ली प्रेरणा, 1975 के कानून में होगा संशोधन
सांसद डेलमास्त्रो ने बताया कि यह प्रस्ताव फ्रांस से प्रेरित है, जहां 2011 में बुर्का पहनने पर पूरे देश में प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड समेत कई यूरोपीय देशों ने भी बुर्का या इस्लामी पहनावे पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लागू किए. हालांकि इटली में पहले से ही 1975 का एक कानून मौजूद है, जो सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने से मना करता है. लेकिन उसमें बुर्का या धार्मिक कपड़ों का विशेष उल्लेख नहीं है. नया विधेयक इस कानून को स्पष्टता और शक्ति देगा, जिससे इस्लामी प्रतीकों के नाम पर छिपाए गए सांस्कृतिक अलगाव को रोका जा सकेगा.
क्या कहती है सरकार?
सरकार का मानना है कि ये कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक समरसता और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है. मेलोनी सरकार पहले से ही इमिग्रेशन और कट्टरपंथी गतिविधियों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है. नए प्रस्ताव को इसी दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है.
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