मध्य ग़ाज़ा के बुरेज़ शरणार्थी शिविर में एक घर पर हुए इज़राइली हवाई हमले ने एक बार फिर से तबाही की दास्तान लिख दी. इस हमले में 22 लोगों की जान चली गई, जिनमें 9 मासूम महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. दीर अल-बलाह स्थित अल-अक्सा शहीद अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों ने यह जानकारी दी है. इज़राइली सेना की तरफ से अब तक इस हमले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन ज़मीन पर हालात भयावह बने हुए हैं.
स्कूल पर हमला: जहां शरण मिलती थी, वहीं मौत ने दस्तक दी
इससे पहले ग़ाज़ा शहर के दाराज इलाके में स्थित एक स्कूल पर भी एयर स्ट्राइक की गई थी, जिसमें कम से कम 20 लोग मारे गए. यह स्कूल उन सैकड़ों लोगों के लिए शरणस्थली बन गया था, जो बमबारी से जान बचाने के लिए अपने घरों से भागे थे. दुर्भाग्यवश, यही स्कूल उनके लिए मौत का ठिकाना बन गया.
मई से बढ़ा सैन्य अभियान, इज़राइल ने तेज़ की कार्रवाई
ग़ाज़ा पर यह हमला उस वक्त हुआ है जब इज़राइल ने मई की शुरुआत से ही अपने सैन्य ऑपरेशन में तेजी लाई है. तेल अवीव का दावा है कि उसकी कार्रवाइयों का मकसद हमास की सैन्य और प्रशासनिक ताकत को खत्म करना और अक्टूबर 2023 में बंधक बनाए गए इज़राइली नागरिकों को वापस लाना है.
फिर से महिलाएं और बच्चे बने निशाना
हमले के बाद जो शव अस्पताल पहुंचे, उनमें बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की थी. अस्पताल में रोते-बिलखते परिजनों के चेहरे उस त्रासदी को बयां कर रहे थे, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. इस हमले को लेकर दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है, लेकिन इज़राइली सेना की ओर से अब तक चुप्पी बनी हुई है.
ग़ाज़ा का 77% इलाका अब इज़राइली नियंत्रण में
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ग़ाज़ा के लगभग 77% हिस्से पर इज़राइल का सीधा या परोक्ष नियंत्रण हो चुका है. कहीं जमीनी सेना की मौजूदगी, तो कहीं लोगों को खाली कराने के आदेश और बमबारी के जरिए इज़राइल ने धीरे-धीरे पूरे ग़ाज़ा को अपने शिकंजे में ले लिया है.
भुखमरी की कगार पर ग़ाज़ा, राहत में भी सियासत
दूसरी ओर, ग़ाज़ा भुखमरी के कगार पर है. इंटरनेशनल समुदाय ने इज़राइल पर दबाव बनाकर कुछ राहत पहुंचाने की कोशिश की है, जिसके बाद हाल ही में मानवीय सहायता पर लगी रोक में थोड़ी ढील दी गई है. लेकिन इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू साफ कर चुके हैं कि उनका लक्ष्य ग़ाज़ा पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखना है, और जब तक हमास हथियार नहीं डालता, यह लड़ाई थमेगी नहीं.
अब तक 53,000 से ज़्यादा मौतें, लाखों बेघर
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस युद्ध में अब तक 53,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में आम नागरिक हैं. लगभग 20 लाख की आबादी वाले इस छोटे से इलाके में अब लाखों लोग बेघर और विस्थापित हो चुके हैं.
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