अब पूरे गाजा पर कब्जा करेगा इजरायल, नेतन्याहू ने सेना को दी मंजूरी, जंग खत्म करने के लिए रखीं 5 शर्तें

    इजरायल और हमास के बीच महीनों से चल रही भीषण जंग अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. लंबे इंतजार के बाद इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए गाजा सिटी पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना को अधिकृत कर दिया है.

    Israel to capture entire Gaza Netanyahu gives permission to army
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    तेल अवीव: इजरायल और हमास के बीच महीनों से चल रही भीषण जंग अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. लंबे इंतजार के बाद इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए गाजा सिटी पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना को अधिकृत कर दिया है. इस फैसले के पीछे मुख्य उद्देश्य है हमास के कब्जे में मौजूद बंधकों को रिहा कराना और गाजा में बचे हुए सैन्य ठिकानों का खात्मा करना.

    प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय से शुक्रवार सुबह एक आधिकारिक बयान जारी किया गया, जिसमें बताया गया कि यह निर्णय करीब 10 घंटे लंबी मैराथन बैठक के बाद लिया गया है. बैठक में सुरक्षा कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य इस योजना के पक्ष में थे, जो यह दर्शाता है कि इजरायली नेतृत्व अब गाजा को लेकर अधिक आक्रामक और निर्णायक रणनीति अपनाने के मूड में है.

    गाजा सिटी: अब अगला निशाना

    इजरायल ने अब तक गाजा पट्टी के लगभग 75% हिस्से पर सैन्य नियंत्रण हासिल कर लिया है. अब उसकी नजर गाजा सिटी पर है, जो इस पूरे क्षेत्र का सबसे प्रमुख और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा सिटी के कुछ इलाकों में अब भी हमास का प्रभाव बना हुआ है, और वहीं पर इजरायली बंधकों को भी छिपाकर रखा गया है.

    यह वही क्षेत्र है जहां अभी तक इजरायली सेना (IDF) ने पूरी ताकत से सैन्य अभियान नहीं चलाया था. अब जब इस पर कब्जा करने की योजना को मंजूरी मिल चुकी है, तो गाजा में जमीनी हालात पूरी तरह बदल सकते हैं.

    हमास को सौंपा गया शर्तों भरा प्रस्ताव

    इजरायली कैबिनेट ने सिर्फ सैन्य कार्रवाई की मंजूरी ही नहीं दी, बल्कि हमास के सामने युद्ध विराम के लिए 5 कड़ी शर्तें भी रख दी हैं. ये शर्तें इस प्रकार हैं:

    • हमास को पूरी तरह हथियार डालने होंगे.
    • हमास के कब्जे में बचे हुए सभी 50 बंधकों को रिहा करना होगा. इनमें से 20 के जीवित होने की उम्मीद जताई गई है.
    • गाजा से सभी सैन्य ताकतों का खात्मा जरूरी होगा.
    • इजरायल को गाजा में सुरक्षा नियंत्रण बनाए रखने की अनुमति दी जाए.
    • गाजा में ऐसा नागरिक प्रशासन स्थापित हो, जो न हमास हो और न ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी.

    इन शर्तों को देखते हुए स्पष्ट है कि इजरायल अब किसी भी स्थिति में हमास को गाजा में दोबारा उभरने का मौका नहीं देना चाहता.

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: ब्रिटेन ने जताई आपत्ति

    इजरायल के इस फैसले पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर ने गाजा सिटी पर कब्जे की योजना की कड़ी आलोचना करते हुए इसे एक "गलत कदम" बताया है. उन्होंने BBC को दिए एक बयान में कहा,  "इस तरह की सैन्य कार्रवाई से न युद्ध खत्म होगा और न ही बंधकों की रिहाई सुनिश्चित होगी. इससे सिर्फ और ज्यादा खून-खराबा होगा. गाजा में पहले ही मानवीय संकट गंभीर रूप ले चुका है."

    स्टार्मर ने यह भी कहा कि इजरायल को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ सकती है.

    नेतन्याहू की सफाई: गाजा पर कब्जे का इरादा नहीं

    इस पूरे घटनाक्रम के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में सफाई दी है. उन्होंने कहा कि इजरायल का उद्देश्य गाजा पर स्थायी कब्जा करना नहीं, बल्कि उसे हमास के आतंक से मुक्त करना है.

    उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि गाजा को एक जिम्मेदार अरब प्रशासन को सौंपा जाए ऐसा प्रशासन जो न हमास हो, न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण. और जो न केवल हमारे लिए खतरा न बने, बल्कि गाजा के लोगों को एक बेहतर जीवन दे सके."

    नेतन्याहू ने यह भी स्पष्ट किया कि गाजा के प्रशासन में इजरायल की कोई भूमिका नहीं होगी, लेकिन वह अपनी सुरक्षा के लिहाज से गाजा का घेरा बनाए रखेगा, ताकि हमास दोबारा सिर न उठा सके.

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