पिनाका को मात देने भारत ने तैयार किया रॉकेट 'सूर्या', पलभर में पाक और चाइना के छक्के छुड़ा देगा

    देश की रक्षा ताकत को और आधुनिक बनाने की दिशा में भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है. भारत की निजी रक्षा कंपनी निबे डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड ने इजरायल की मशहूर डिफेंस फर्म एल्बिट सिस्टम्स के साथ एक अहम समझौता किया है.

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    देश की रक्षा ताकत को और आधुनिक बनाने की दिशा में भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है. भारत की निजी रक्षा कंपनी निबे डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड ने इजरायल की मशहूर डिफेंस फर्म एल्बिट सिस्टम्स के साथ एक अहम समझौता किया है. इस साझेदारी के तहत अब PULS (प्रिसाइस एंड यूनिवर्सल लॉन्चिंग सिस्टम) जैसे हाईटेक मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर का निर्माण भारत में ही किया जाएगा. इस सिस्टम का स्वदेशी संस्करण ‘सूर्या’ नाम से भारतीय सेना के लिए तैयार किया जाएगा.

    यह डील सिर्फ रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) भी शामिल है, जिससे भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा. 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत तैयार होने वाला यह सिस्टम देश को तोपखाने तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर सकता है.

    क्या है ‘सूर्या’ रॉकेट सिस्टम की खासियत?

    ‘सूर्या’ प्रणाली की सबसे बड़ी ताकत इसकी यूनिवर्सल लॉन्चिंग कैपेबिलिटी है. इसका मतलब है कि यह 122 मिमी से लेकर 300 मिमी तक के विभिन्न प्रकार के रॉकेट्स और मिसाइलें एक ही प्लेटफॉर्म से दाग सकता है.यह सिस्टम 300 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की क्षमता रखता है. इसे UAV, रडार और अन्य सर्विलांस डाटा से इनपुट लेकर, कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क से जोड़कर या इंडिपेंडेंट मोड में भी ऑपरेट किया जा सकता है. इसके ज़रिए प्रिडेटर हॉक और एक्स्ट्रा जैसे एडवांस रॉकेट्स को भी दागा जा सकता है. इसकी यह बहुआयामी क्षमता भारत को सीमावर्ती खतरों का जवाब देने में कहीं अधिक तेज़, सटीक और घातक बना सकती है.

    क्या यह सिस्टम भारत के पिनाका रॉकेट को टक्कर देगा?

    भारतीय सेना लंबे समय से DRDO और निजी रक्षा कंपनियों द्वारा विकसित पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम (MBRLS) का इस्तेमाल कर रही है. पिनाका Mk-1 की रेंज 37.5 किलोमीटर है, जबकि Mk-2 और ER संस्करण 60 से 90 किलोमीटर तक मार कर सकते हैं. यह सिस्टम एक मिनट में 12 रॉकेट फायर करने की क्षमता रखता है और इसे हर तरह की भौगोलिक परिस्थिति में तैनात किया जा सकता है.

    हालांकि, पिनाका की एक बड़ी सीमा यह है कि यह सिर्फ 214mm कैलिबर रॉकेट्स ही फायर कर सकता है, जिससे उसकी बहुउद्देश्यीय उपयोगिता सीमित हो जाती है. वहीं दूसरी ओर, PULS (या सूर्या) की लॉन्चिंग फ्लेक्सिबिलिटी, लंबी रेंज और भारी रॉकेट दागने की ताकत उसे ज्यादा आधुनिक और घातक बनाती है.

    रक्षा निर्यात में भी बड़ा कदम

    पिनाका सिस्टम की आर्मेनिया को सफलतापूर्वक डिलीवरी और फ्रांस जैसे देशों की दिलचस्पी दिखाती है कि भारत का रक्षा निर्यात अब वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर रहा है. ऐसे में 'सूर्या' जैसे उन्नत सिस्टम्स की स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग भारत को सिर्फ एक आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति ही नहीं बनाएगी, बल्कि डिफेंस एक्सपोर्ट हब भी बना सकती है.

    अमेरिका और इजरायल जैसे देशों की तकनीक का स्वदेशीकरण

    इस करार से यह साफ है कि अब भारत मित्र देशों की एडवांस मिलिट्री टेक्नोलॉजी को केवल खरीदेगा नहीं, बल्कि उसे स्थानीय तकनीकी ताकत में बदलने की रणनीति पर भी काम कर रहा है. इससे विदेशी निर्भरता घटेगी और देश की रक्षा उत्पादन क्षमताएं कहीं अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बनेंगी.

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