तेल अवीव: तुर्की को अमेरिका से F-35 स्टील्थ फाइटर जेट मिलने की संभावना ने इजरायल में चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार, वाशिंगटन और अंकारा के बीच इस सैन्य विमान को लेकर बातचीत फिर से शुरू हो सकती है, जिससे इजरायल की सुरक्षा और मध्य पूर्व में सैन्य संतुलन पर असर पड़ सकता है.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस संभावित समझौते को रोकने के लिए अमेरिका से लगातार संपर्क में हैं. इजरायल के अनुसार, यह फाइटर जेट महज एक युद्धक विमान नहीं, बल्कि उन्नत प्रौद्योगिकी से लैस एक सैन्य संपत्ति है, जो किसी भी देश की रक्षा शक्ति को अत्यधिक बढ़ा सकता है. तुर्की, जो पहले ही अपने फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट KAAN पर काम कर रहा है, अगर उसे F-35 मिल जाता है, तो इससे क्षेत्र में सैन्य शक्ति का संतुलन बदल सकता है.
अमेरिका से इजरायल की अपील
ब्रिटेन स्थित मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से तुर्की को F-35 न देने का अनुरोध कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो महीनों में नेतन्याहू इस विषय पर कई बार अमेरिका से चर्चा कर चुके हैं.
2019 में तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया था, जब उसने रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी थी. अमेरिका का मानना था कि रूसी प्रणाली से जुड़ने के कारण F-35 की संवेदनशील प्रौद्योगिकी लीक होने का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि, कुछ रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका इस सौदे को फिर से शुरू करने पर विचार कर सकता है, बशर्ते कि तुर्की S-400 प्रणाली को निष्क्रिय करने के लिए सहमत हो जाए.
सैन्य संतुलन और क्षेत्रीय प्रभाव
इजरायल के अनुसार, तुर्की को F-35 मिलने से पूरे मध्य पूर्व में सैन्य शक्ति का संतुलन बदल सकता है. तुर्की पहले से ही हमास का समर्थन करता रहा है और विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.
F-35 एक अत्याधुनिक फाइटर जेट है, जिसमें उन्नत सेंसर, नेटवर्क इंटीग्रेशन और साइबर वारफेयर क्षमताएं हैं. यह एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर सटीक हमले कर सकता है. वर्तमान में, इजरायल के पास मध्य पूर्व में यह क्षमता है, लेकिन तुर्की को इस विमान के मिलने से इजरायल की रणनीतिक बढ़त समाप्त हो सकती है.
क्षेत्रीय देशों की चिंताएँ
तुर्की को F-35 मिलने की स्थिति में ग्रीस, साइप्रस, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों की सुरक्षा चिंताओं में वृद्धि हो सकती है. UAE और सऊदी अरब भी F-35 प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका ने अभी तक उन्हें यह विमान प्रदान नहीं किया है.
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, अमेरिका के रुख को लेकर विभिन्न अटकलें लगाई जा रही हैं. आने वाले महीनों में यह स्पष्ट होगा कि क्या तुर्की को यह अत्याधुनिक फाइटर जेट मिलेगा या नहीं और इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर क्या असर पड़ेगा.
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