आतंकियों ने जंगल से घिरे पहलगाम को ही क्यों बनाया निशाना, धर्म पूछकर क्यों मारी गोली? पढ़ें टाइमलाइन

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला एक बार फिर उस कड़वे सच को उजागर करता है कि घाटी में शांति के प्रयासों को कुछ ताकतें अभी भी पचा नहीं पा रहीं.

    Why did terrorists target Pahalgam surrounded by forest? Tourists have been attacked in Kashmir before as well
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला एक बार फिर उस कड़वे सच को उजागर करता है कि घाटी में शांति के प्रयासों को कुछ ताकतें अभी भी पचा नहीं पा रहीं. 27 निर्दोष पर्यटकों की हत्या और 20 से अधिक घायल—यह केवल एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर की छवि को फिर से विवादों में लाने की साजिश दिखाई देती है.

    क्यों बना पहलगाम आतंकियों का निशाना?

    पहलगाम बीते कुछ वर्षों में कश्मीर का सबसे बड़ा टूरिज्म हब बनकर उभरा है. यहाँ न केवल सैलानियों की भीड़ उमड़ती है, बल्कि यह अमरनाथ यात्रा का प्रमुख बेस कैंप भी है, जहां उच्च स्तर की सुरक्षा व्यवस्था तैनात रहती है—CCTV, ड्रोन निगरानी और RFID टैगिंग तक.

    इसीलिए आतंकियों ने इस क्षेत्र को चुना ताकि:

    • देश और दुनिया को यह संदेश जाए कि कश्मीर में हालात अभी भी अस्थिर हैं.
    • पर्यटन पर हमला कर कश्मीर की आर्थिक रीढ़ को झटका दिया जा सके.
    • एक बड़े मंच से दुनिया को बताया जाए कि घाटी आज भी अशांत है.
    • सांप्रदायिक तनाव भड़काकर देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया जा सके.

    धर्म पूछकर हत्या: गहरी साजिश की ओर इशारा

    हमले में आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी, फिर चुन-चुनकर गोलीबारी की. यह बताता है कि हमले का उद्देश्य केवल हिंसा नहीं था, बल्कि समाज में धार्मिक विभाजन की लकीरें खींचना भी था. आतंकियों को उम्मीद थी कि इस घटना की प्रतिक्रिया हिंसक होगी और भारत की सामाजिक एकता पर प्रहार होगा.

    हमले की टाइमिंग भी साजिश का हिस्सा?

    इस हमले की टाइमिंग भी सवाल उठाती है:

    • भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे पर सऊदी अरब में थे.
    • अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे.
    • इससे ठीक 20 साल पहले, बिल क्लिंटन के दौरे के दौरान भी लश्कर-ए-तैयबा ने छत्तीसिंहपोरा में 35 सिखों की हत्या की थी.

    यह संयोग नहीं—बल्कि एक सोच-समझी योजना है जिससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कश्मीर को फिर से अस्थिर क्षेत्र के रूप में पेश किया जा सके.

    TRF की भूमिका और पाकिस्तान का मकसद

    हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की इकाई 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है. TRF का उद्देश्य है:

    • कश्मीर में शांति प्रक्रिया को बाधित करना
    • सीमापार आतंकवाद को जिंदा रखना
    • भारत सरकार की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना

    पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का एजेंडा स्पष्ट है: जब भी भारत कश्मीर में स्थिरता की ओर बढ़ता है, ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर विश्व समुदाय को भ्रमित करना.

    सुरक्षा एजेंसियों को था अंदेशा, फिर चूक कैसे?

    सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से इनपुट थे कि आतंकी पर्यटकों या अल्पसंख्यकों पर हमला कर सकते हैं. इसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 8 अप्रैल को श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा बैठक भी की थी.

    इसके बावजूद ऐसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्र में इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई? यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए आत्मचिंतन का विषय है.

    पुलवामा के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला

    2019 के पुलवामा फिदायीन हमले के बाद यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है. पुलवामा में CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे. अब, पहलगाम में आम नागरिक और पर्यटक निशाना बने हैं—इससे स्पष्ट है कि आतंकियों की रणनीति बदल गई है, और उनका फोकस 'सॉफ्ट टारगेट्स' पर है.

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