फोर्डो परमाणु ठिकाने पर अमेरिका के बाद इजरायल का हमला, ईरान की इस बदनाम जेल के गेट पर भी गिराए बम

    रविवार को अमेरिका द्वारा ईरान के अति-संवेदनशील फोर्डो परमाणु ठिकाने पर भारी बमबारी के बाद, अब इज़रायल ने भी उसी जगह पर पुनः हमला किया है.

    Israel attacks Fordo nuclear site after US
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    तेल अवीव: ईरान और पश्चिमी शक्तियों के बीच पहले से ही अस्थिर समीकरण अब एक नई, कहीं अधिक खतरनाक दिशा में बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. बीते रविवार को अमेरिका द्वारा ईरान के अति-संवेदनशील फोर्डो परमाणु ठिकाने पर भारी बमबारी के बाद, अब इज़रायल ने भी उसी जगह पर पुनः हमला किया है. यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिका के हमले के प्रभावों का आकलन भी पूरी तरह नहीं हो पाया था. यह दोहरे हमले, जिनमें नवीनतम बंकर-बस्टर हथियारों का प्रयोग किया गया है, न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं बल्कि वैश्विक रणनीतिक स्थिरता के लिए भी गंभीर संकेतक हैं.

    क्या हुआ फोर्डो में?

    ईरानी मीडिया की रिपोर्टों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, रविवार को अमेरिका के B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स ने ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल पर GBU-57 ‘मासिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर’ बम गिराया — एक ऐसा बम जिसे विशेष रूप से भूमिगत बंकरों को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह बम लगभग 13,000 किलोग्राम वजनी था और इसके प्रभाव से जमीन के अंदर तक मौजूद ईरान के संवेदनशील यूरेनियम संवर्धन प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.

    सोमवार सुबह इस हमले की पुनरावृत्ति तब हुई जब इज़रायली सेना ने उसी क्षेत्र को फिर से निशाना बनाया. इजरायल का दावा है कि यह कार्रवाई ईरान की ओर से मिसाइलों की बौछार के जवाब में की गई, जो इज़रायल के मध्य क्षेत्रों और जॉर्डन की सीमाओं के पास तक पहुंची.

    IAEA की गंभीर चेतावनी

    वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियारों की तीव्रता और फोर्डो में लगे सेंट्रीफ्यूज की संवेदनशीलता को देखते हुए "बहुत गंभीर क्षति" की संभावना है.

    ग्रॉसी ने यह भी स्पष्ट किया कि “फिलहाल IAEA या किसी अन्य निरीक्षण संस्था के पास फोर्डो के भीतर हुई वास्तविक क्षति का आकलन करने की प्रत्यक्ष पहुंच नहीं है.” उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने और परमाणु प्रतिष्ठानों को सैन्य लक्ष्यों में तब्दील न करने की अपील की.

    ईरान की प्रतिक्रिया: "संप्रभुता का सीधा उल्लंघन"

    ईरानी सेना के शीर्ष जनरल अब्दुलरहीम मौसवी ने इन हमलों की कड़ी आलोचना की है. ईरानी समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार, मौसवी ने अमेरिका को चेताया कि उसके द्वारा की गई कार्रवाइयों ने ईरानी सशस्त्र बलों को "खुले तौर पर अमेरिकी हितों और सैनिक ठिकानों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई" की छूट दे दी है.

    मौसवी ने यह भी कहा कि “फोर्डो पर बमबारी न केवल ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि यह सीधे तौर पर इज़रायली युद्ध में अमेरिका की भागीदारी और एक राष्ट्र के भीतर सैन्य आक्रमण के समान है.” ईरान की यह चेतावनी दर्शाती है कि अब क्षेत्र केवल शब्दों के युद्ध से आगे निकलकर वास्तविक सैन्य संघर्ष की ओर बढ़ सकता है.

    इविन जेल पर हमला: क्या है इज़रायल की रणनीति?

    इज़रायली आर्मी रेडियो की रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने तेहरान स्थित इविन जेल के प्रवेश द्वारों को भी निशाना बनाया है. यह वही जेल है जहां राजनीतिक कैदियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सरकार विरोधी आवाजों को रखा जाता है.

    सूत्रों का दावा है कि इस हमले का उद्देश्य “राजनीतिक बंदियों को भागने का अवसर देना” था. अगर यह सच है, तो यह इज़रायल द्वारा एक नई रणनीतिक दिशा का संकेत हो सकता है — जिसमें केवल सैन्य ठिकाने ही नहीं, बल्कि शासन के प्रतीकों और ढांचों को भी निशाना बनाया जा रहा है.

    भविष्य की दिशा: कूटनीति या टकराव?

    इन ताजा घटनाओं ने पश्चिम एशिया में एक और बड़े युद्ध की संभावना को बल दे दिया है. अमेरिका और इज़रायल के इन कदमों को ईरान एक समन्वित आक्रमण मानता है, और यदि ईरान प्रतिक्रिया में अमेरिका या उसके सहयोगियों के खिलाफ प्रत्यक्ष हमला करता है, तो यह संघर्ष एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का रूप ले सकता है.

    संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और चीन-रूस जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस समय परिस्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं. यदि कूटनीति के रास्ते जल्दी नहीं खोजे गए, तो इसके दुष्परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया को भुगतने पड़ सकते हैं — विशेषकर ऊर्जा आपूर्ति, वैश्विक बाजार और अंतरराष्ट्रीय शांति सुरक्षा व्यवस्था पर.

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