झूठ बोलते हैं ट्रंप! तीन नहीं एक परमाणु ठिकाने पर किया अमेरिका ने हमला; रिपोर्ट में हुआ खुलासा

    पिछले महीने जब इजरायल-ईरान युद्ध छिड़ा था, तो अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे. इन हमलों के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि इन ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया.

    Israel and Iran war america destroyed only one nuclear site
    Image Source: Social Media

    पिछले महीने जब इजरायल-ईरान युद्ध छिड़ा था, तो अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे. इन हमलों के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि इन ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया. हालांकि, अब अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि इन हमलों में से सिर्फ एक ठिकाना, यानी ईरान का फोर्दो परमाणु स्थल, ही नुकसान में था. यह जानकारी अमेरिकी आकलन रिपोर्ट से सामने आई है, जिसने इस हमले के वास्तविक परिणामों को उजागर किया.

    वास्तविकता से पर्दा उठता है


    एनबीसी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्दो, नतांज और इस्फहान — पर हमले करने की योजना बनाई थी. अमेरिकी सेना ने इस हमले के लिए बहुत व्यापक रणनीति तैयार की थी. इस योजना के तहत यह हमले एक दिन में नहीं, बल्कि कई हफ्तों तक चलने वाले थे. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जब इस योजना के बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया.

    ट्रंप का कहना था कि यदि यह योजना पूरी तरह से लागू होती, तो इससे न केवल ईरान और इजरायल में भारी हताहत होते, बल्कि यह अमेरिका को लंबे समय तक ईरान में एक युद्ध जैसी स्थिति में भी फंसा सकता था. यही वजह थी कि इस हमले की योजना को केवल एक रात के लिए सीमित किया गया. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि फोर्दो पर हमले के बाद वहां की परमाणु संवर्धन प्रक्रिया को दो साल तक के लिए पीछे धकेल दिया गया है, जबकि नतांज और इस्फहान पर किसी प्रकार का कोई खास असर नहीं पड़ा.

    ट्रंप का बयान और अमेरिकी सैन्य रिपोर्ट का विरोधाभास


    इस हमले के बाद ट्रंप ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था कि ऑपरेशन "मिडनाइट हैमर" ने ईरान के सभी परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया. पेंटागन के प्रवक्ता, सीन पार्नेल ने भी इस दावे का समर्थन किया था. उनका कहना था कि ईरान के फोर्दो, इस्फ़हान और नतांज स्थित परमाणु संयंत्र पूरी तरह से नष्ट हो गए थे और इनकी मरम्मत में वर्षों का समय लगेगा. इसके साथ ही उन्होंने "फेक न्यूज मीडिया" का भी जिक्र करते हुए कहा कि इन संयंत्रों की स्थिति अब पूरी तरह से खराब हो चुकी है. लेकिन, यह दावा तब कमजोर हो जाता है जब अमेरिकी मीडिया और आंतरिक रिपोर्ट में यह बात सामने आती है कि इन हमलों में केवल एक ठिकाना, फोर्दो, ही प्रभावित हुआ था और बाकी दोनों ठिकाने जस के तस बने हुए थे.

    ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला: क्या था असली उद्देश्य


    22 जून को अमेरिका ने बी2 बॉम्बर विमानों का इस्तेमाल कर ऑपरेशन "मिडनाइट हैमर" शुरू किया था. इस ऑपरेशन के तहत फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थित ईरानी परमाणु संयंत्रों पर हमले किए गए थे. हालांकि, ईरान ने इन हमलों को लेकर काफी चुप्पी साधी और न ही उन्होंने कोई गंभीर नुकसान की रिपोर्ट जारी की.

    ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में विवाद था, और इस हमले का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को धीमा करना था. अमेरिकी अधिकारियों ने इसे एक "कड़े संदेश" के तौर पर प्रस्तुत किया, जबकि ट्रंप प्रशासन का दावा था कि ये हमले ईरान के परमाणु क्षमता को पूरी तरह खत्म करने के लिए थे.

    क्या इस हमले से ईरान की परमाणु क्षमता पर बड़ा असर पड़ा?


    रिपोर्टों के अनुसार, फोर्दो पर हुआ नुकसान ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को दो साल तक पीछे धकेल सकता है, लेकिन नतांज और इस्फहान में कोई बड़ा असर नहीं पड़ा. यही वजह है कि कई सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के दावे और असलियत में काफी अंतर है. रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिकी रणनीति में कोई स्पष्ट दीर्घकालिक असर दिखाई नहीं दे रहा, क्योंकि ईरान के बाकी परमाणु स्थलों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा. इससे यह सवाल उठता है कि क्या अमेरिका का यह ऑपरेशन वास्तव में ईरान की परमाणु क्षमताओं को पूरी तरह से समाप्त करने में सफल हुआ, या फिर यह केवल एक अस्थायी और सीमित सफलता थी?

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