आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में हुए बहुचर्चित धर्मांतरण मामले में पुलिस की तफ्तीश अब एक बड़े और गहरे षड्यंत्र की ओर इशारा कर रही है. इस केस की जांच में एक संगठित गिरोह, अंतरराष्ट्रीय संपर्क और डिजिटल माध्यमों के अत्याधुनिक उपयोग का संदेह गहराता जा रहा है. मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार 14 आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद यह बात सामने आई है कि इन गतिविधियों के तार न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से, बल्कि पाकिस्तान, कश्मीर और संभवतः फिलीस्तीन जैसे अंतरराष्ट्रीय ठिकानों से भी जुड़े हैं.
यह प्रकरण आगरा की दो नाबालिग लड़कियों के रहस्यमय ढंग से लापता होने के बाद सामने आया. मामले की छानबीन में पुलिस ने अब तक कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 11 आरोपियों को पहले पकड़ा गया था और उन्हें न्यायालय द्वारा 10 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने जो जानकारियाँ साझा कीं, उनसे पूरे मामले की जड़ें गहरी और चिंताजनक प्रतीत होती हैं.
संगठित गिरोह का नेतृत्व और संरचना
इस गिरोह का नेतृत्व दिल्ली निवासी अब्दुल रहमान और गोवा निवासी आयशा कर रहे थे. अब्दुल रहमान, जो कि मूल रूप से फिरोजाबाद का रहने वाला है, ने वर्ष 1990 में धर्म परिवर्तन किया था और वह पहले से एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए कलीम सिद्दीकी का करीबी सहयोगी बताया जा रहा है.
गिरफ्तार आरोपियों में से अधिकांश के तार इन दोनों प्रमुख नेताओं से जुड़े हुए थे. जांच में यह भी सामने आया कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की कई लड़कियों को धर्म परिवर्तन के लिए बहकाया गया. इस प्रक्रिया में कई लड़कियों को मानसिक रूप से प्रभावित करने का प्रयास किया गया, जिससे वे अपने मूल धर्म और परिवार के विरुद्ध सोचने लगीं.
पाकिस्तान और कश्मीर से जुड़ी साजिश
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, गिरोह के संपर्क पाकिस्तान और कश्मीर से जुड़े थे. विशेष रूप से धर्मांतरण के लिए लाई गई लड़कियों को कश्मीर और पाकिस्तान के लोगों से संपर्क में लाया जाता था. इनका उद्देश्य न केवल धर्मांतरण कराना था, बल्कि बौद्धिक विमर्श और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर भारत के सामाजिक ढांचे को कमजोर करना भी था.
कश्मीर की कुछ महिलाएं इस नेटवर्क का हिस्सा थीं, जिनका कार्य था नई लड़कियों को इस विचारधारा से जोड़ना. यह लड़कियां, पीड़ितों के मन में उनके धर्म और परिवार के प्रति नकारात्मक भाव भरती थीं. यह प्रक्रिया अत्यंत संगठित, चरणबद्ध और साइकोलॉजिकल मैनेजमेंट पर आधारित प्रतीत होती है.
फिलीस्तीन से संभावित संबंध और आर्थिक नेटवर्क
एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई है कि इस नेटवर्क की गतिविधियों का विस्तार फिलीस्तीन तक हो सकता है. पुलिस के अनुसार, गिरोह के सदस्यों ने क्राउड फंडिंग, क्रिप्टोकरेंसी और डॉलर के माध्यम से लेन-देन कर विदेशी फंडिंग प्राप्त की. इन पैसों का उपयोग धर्मांतरण अभियानों, बौद्धिक प्रचार और डिजिटल साजो-सामान की व्यवस्था के लिए किया गया.
डार्क वेब और डिजिटल गोपनीयता
जांच में यह भी पता चला कि गिरोह के कुछ सदस्य डार्क वेब और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन ऐप्स जैसे सिग्नल का उपयोग करते थे. इसका उद्देश्य अपनी गतिविधियों को सुरक्षा एजेंसियों की निगाह से बचाए रखना था. इस गिरोह द्वारा इंटरनेट के ज़रिए लूडोस्टार जैसे गेम्स का प्रयोग करके युवाओं को पहले आकर्षित किया जाता था, फिर मानसिक रूप से प्रभावित कर उन्हें अपने उद्देश्य की ओर मोड़ा जाता था.
DAWAH की भूमिका
पूछताछ में एक लड़की सुमैया ने स्वीकार किया कि जब वह कश्मीर में रह रही थी, तब उसके दोस्तों ने उसे 'DAWAH' कार्यक्रम में बुलाया. DAWAH इस्लामी अवधारणा है, जिसका उद्देश्य अन्य धर्मों के लोगों को इस्लाम की ओर आकर्षित करना होता है. सुमैया ने बताया कि उसे यह समझाया गया कि वर्ष 2050 तक भारत में इस्लाम को प्रमुख धर्म के रूप में स्थापित करना है.
इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले अधिकांश लोगों ने बताया कि उन्हें पहले DAWAH में आमंत्रित किया गया, जहाँ इस्लाम की अच्छाइयाँ और अन्य धर्मों की कमियाँ उनके सामने प्रस्तुत की गईं. यदि कोई पारिवारिक समस्या से जूझ रहा होता, तो उसे उसके परिवार के विरुद्ध भी मानसिक रूप से तैयार किया जाता. यह प्रक्रिया अस्पताल, न्यायालय, बगीचे जैसे स्थानों पर चलने वाली 'जमात' बैठकों के ज़रिए भी होती थी, जहाँ भावनात्मक रूप से कमजोर लोग आसानी से प्रभावित किए जा सकते थे.
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