तेहरान: ईरान और इजरायल के बीच हालिया टकराव में एक बड़ा रहस्य सामने आया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की योजना इजरायल पर लगभग 1000 मिसाइलें और ड्रोन दागने की थी, लेकिन यह रणनीति आखिरकार विफल हो गई. ईरानी नेतृत्व का इरादा था कि इतने बड़े पैमाने पर हमला कर इजरायल की एयर डिफेंस प्रणाली को पूरी तरह पंगु कर दिया जाए, मगर इजरायली हमलों ने इस योजना को समय रहते ध्वस्त कर दिया.
ईरान की योजना कैसे बनी और कैसे टूटी?
'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी सैन्य कमांडरों का मानना था कि इजरायल तब तक हमला नहीं करेगा जब तक अमेरिका के साथ चल रही परमाणु वार्ता पूरी तरह विफल नहीं हो जाती. इस गलतफहमी ने ईरान को चौंका दिया. इजरायल ने कूटनीतिक बातचीत की आड़ में हमला कर ईरानी नेतृत्व को रणनीतिक तौर पर पीछे धकेल दिया.
ईरानी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि इजरायल इतने बड़े पैमाने पर हमला करेगा. उनका मानना था कि इजरायल केवल परमाणु वार्ता में दबाव बनाने के लिए धमकियां दे रहा है.
कैसे मारे गए ईरानी जनरल?
इजरायली हमलों का सबसे बड़ा झटका ईरानी सैन्य नेतृत्व को उस वक्त लगा, जब रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की एयरोस्पेस यूनिट के प्रमुख जनरल अमीर अली हाजीजादेह और उनके सहयोगी मारे गए. सूत्रों के अनुसार, ईरानी सैन्य अधिकारियों को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि वे एक स्थान पर एकत्र न हों, लेकिन इस चेतावनी की अनदेखी की गई.
तेहरान के एक सैन्य अड्डे पर हुई आपातकालीन बैठक के दौरान इजरायली हमले ने इन वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बना लिया. यह घटना ईरानी सैन्य योजना के लिए एक बड़ा झटका थी.
इजरायल ने कहां-कहां किए हमले?
इजरायल ने एक साथ ईरान के कम से कम 15 प्रमुख सैन्य और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया. इस्फहान, तबरीज़, हमेदान, शिराज, अराक, उर्मिया और नतांज जैसे शहरों में हमलों के बाद, कई मिसाइल भंडारण स्थल और हवाई रक्षा प्रणालियां बुरी तरह प्रभावित हुईं.
खास तौर पर नतांज और फोर्डो में ईरान के परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचना, ईरान के लिए एक बड़ा सामरिक नुकसान माना जा रहा है.
खामेनेई का आदेश क्यों नहीं चला?
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल पर एक अभूतपूर्व जवाबी हमले का आदेश दिया था. उनकी योजना थी कि ईरान 1000 बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ इजरायल पर हमला कर दे ताकि एयर डिफेंस सिस्टम को जाम कर दिया जाए और अधिकतम क्षति पहुंचाई जा सके.
लेकिन इजरायली हवाई हमलों ने ईरान की इस योजना को धराशायी कर दिया. मिसाइल गोदामों और लॉन्च साइट्स पर हुए हमलों ने ईरानी सेना को मिसाइलों को सुरक्षित निकालने और उन्हें समय रहते लॉन्च करने का मौका ही नहीं दिया. सूत्रों के अनुसार, ईरान के कई मिसाइल ठिकाने या तो क्षतिग्रस्त हो गए या समय रहते खाली कर दिए गए, जिससे खामेनेई की योजना अधूरी रह गई.
क्या यह ईरान की रणनीतिक हार है?
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि इजरायल ने न सिर्फ सैन्य तौर पर बल्कि खुफिया जानकारी के स्तर पर भी ईरान को पीछे छोड़ दिया. ईरानी नेतृत्व इजरायली हमले के समय और उसकी तैयारी का सटीक अनुमान नहीं लगा सका.
ईरान की जनता में इस हमले के बाद भारी गुस्सा देखा जा रहा है और सरकार पर जवाबी कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ गया है. हालांकि, बड़े स्तर पर जवाबी हमले की ईरान की क्षमता इस वक्त बाधित लग रही है.
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