ईरान ने एक महत्वपूर्ण सैन्य परीक्षण किया है, जिसने मध्य पूर्व में सुरक्षा संतुलन को बदलने की क्षमता रखी है. इस परीक्षण में ईरान ने रूस निर्मित S-400 वायु रक्षा प्रणाली का ऑपरेशनल परीक्षण किया, जो इजरायल और अमेरिका के लिए एक बड़ा संदेश हो सकता है. यह परीक्षण 26 जुलाई 2025 को ईरान के इस्फहान शहर के पास किया गया, जो रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है.
ईरानी डिफेंस मीडिया के अनुसार, S-400 सिस्टम का यह परीक्षण तेहरान से करीब 440 किलोमीटर दक्षिण में स्थित इस्फहान शहर के पास हुआ. यह क्षेत्र पहले भी महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि यहां ईरानी परमाणु सुविधाओं पर इजरायल और अमेरिका के हमले हो चुके हैं. इस परीक्षण के साथ, यह साफ हो गया है कि ईरान अब अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा को एक नई ऊंचाई पर ले गया है. अब ईरान की हवाई सीमाओं में घुसपैठ करना और अधिक कठिन हो सकता है, खासकर इजरायल और अमेरिका जैसे देशों के लिए.
इजरायल और अमेरिका के लिए नई चुनौती
इससे पहले जून में इजरायल ने दावा किया था कि उसने अपने हवाई हमलों के दौरान ईरान की वायु रक्षा प्रणाली को पूरी तरह नष्ट कर दिया था, जिसमें रूस की S-300 प्रणाली भी शामिल थी. अब, S-400 की तैनाती के बाद, ईरान का हवाई क्षेत्र सुरक्षा के लिहाज से और भी मजबूत हो गया है. S-400 सिस्टम को दुनिया की सबसे उन्नत लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है, जो दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को बेहद दूर से नष्ट करने में सक्षम है.
टेस्ट की गई मिसाइलें और प्रणाली
रिपोर्ट के मुताबिक, इस परीक्षण में S-400 वायु रक्षा प्रणाली की पूरी बैटरी का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 91N6E बिग बर्ड रेडार, 92N6E ग्रेव स्टोन एंगेजमेंट रेडार और कई 5P85TE2 ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर शामिल हैं. इस परीक्षण में 250 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली 48N6E3 मिसाइल का उपयोग किया गया, जो 380 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्यों को नष्ट करने की क्षमता रखती है.
आधिकारिक पुष्टि की कमी
हालांकि, ईरान के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस परीक्षण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन OSINT प्लेटफॉर्म ने S-400 प्रणाली के रेडार प्रोफाइल के अनुसार असामान्य उत्सर्जन का पता लगाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रणाली का परीक्षण इजरायली विमानों जैसे F-35I के खिलाफ ईरान की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
अगले कदम और विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि इस S-400 प्रणाली की तैनाती से ईरान को अपनी सैन्य शक्ति को और भी बढ़ाने का अवसर मिलेगा. ईरान के हवाई क्षेत्र में अब इजरायल और अमेरिका जैसे देशों के लिए घुसपैठ करना और भी मुश्किल हो सकता है. यह कदम मध्य पूर्व में सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक नया मोड़ ला सकता है और इसके परिणाम पूरे क्षेत्र में महसूस किए जा सकते हैं.
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