ईरान में फिर शुरू ऑपरेशन मोसाद!, तालिबान से जासूसी डेटा मांग रहा तेहरान

    ईरान और इजराइल के बीच छाया तनाव अब युद्ध के मुहाने पर पहुंच गया है. इजराइल लगातार ईरान के सामरिक ठिकानों को निशाना बना रहा है, और ताजा घटनाक्रम में ईरान की धरती पर फिर एक बड़ा धमाका हुआ है. इस बार निशाना बना – ईरान का एक मिसाइल बेस.

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    ईरान और इजराइल के बीच छाया तनाव अब युद्ध के मुहाने पर पहुंच गया है. इजराइल लगातार ईरान के सामरिक ठिकानों को निशाना बना रहा है, और ताजा घटनाक्रम में ईरान की धरती पर फिर एक बड़ा धमाका हुआ है. इस बार निशाना बना – ईरान का एक मिसाइल बेस. इस हमले ने एक बार फिर मोसाद की जमीनी मौजूदगी और उसकी ऑपरेशनल क्षमता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. हैरानी की बात ये है कि ईरान अब तालिबान से पश्चिमी देशों के जासूसों की पहचान में मदद मांग रहा है.

    ईरान के शिराज इलाके में स्थित एक बैलिस्टिक मिसाइल बेस पर हाल ही में एक बड़ा धमाका हुआ. स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, आसमान में अचानक ड्रोन दिखाई दिए और कुछ ही देर में ज़ोरदार विस्फोट ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया. जिस जगह यह हमला हुआ, वहां ईरान ने संवेदनशील सैन्य प्रणाली और बैलिस्टिक मिसाइलों का जखीरा जमा किया था.

    मिसाइल बेस पर हुआ बड़ा हमला, एयर डिफेंस सिस्टम फेल

    ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम इस बार भी हमले को नाकाम करने में नाकाम रहा. रिपोर्ट्स के अनुसार, ड्रोन बेहद कम ऊंचाई पर उड़ रहे थे, जिससे इंटरसेप्शन मुश्किल हो गया और मिसाइल बेस सीधे हमले की चपेट में आ गया.

    लगातार सक्रिय है मोसाद का नेटवर्क

    ईरान की सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से मोसाद के नेटवर्क को समाप्त करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी है. इस बार का हमला भी उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत मोसाद गुपचुप तरीके से ईरान के भीतर सैन्य और परमाणु स्थलों को निशाना बना रहा है. माना जा रहा है कि यह हमला उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें ईरान की महत्वपूर्ण सैन्य संपत्तियों को अघोषित युद्ध के तहत नुकसान पहुंचाया जा रहा है. इन हमलों ने ईरान की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    तालिबान से मांगी गई ब्रिटिश जासूसों की लिस्ट

    अब इस पूरे घटनाक्रम में एक और चौंकाने वाला मोड़ आया है. ईरान ने तालिबान से एक बेहद संवेदनशील लिस्ट मांगी है. दरअसल, तालिबान के पास उन ब्रिटिश जासूसों और स्थानीय अफगानों की जानकारी है, जिन्होंने अफगानिस्तान में ब्रिटेन के लिए काम किया था. बताया जा रहा है कि यह लिस्ट ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI-6 की एक गलती के कारण लीक हो गई थी, जिसमें 100 से अधिक ब्रिटिश एजेंट और 25,000 स्थानीय सहयोगियों की पहचान दर्ज है. ईरान अब इस डेटा के जरिए पश्चिमी जासूसों को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है, ताकि मोसाद के एजेंटों की पहचान तक भी पहुंच सके. हालांकि, इस लिस्ट में सभी नाम कोडवर्ड में हैं, जिससे ईरान की एजेंसियों के लिए उन्हें खोजना एक चुनौती होगा.

    जासूसी के खिलाफ ईरान का नया अभियान

    तेहरान सरकार ने एक विशेष समिति गठित की है, जो तालिबान से प्राप्त जानकारी के आधार पर पूरे देश में जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश करने की दिशा में काम करेगी. ईरान को आशंका है कि ब्रिटिश एजेंसियों के नेटवर्क से जुड़े एजेंट ही मोसाद के लिए काम कर रहे हैं. ऐसे में तालिबान से मिली लिस्ट से इन एजेंटों तक पहुंचा जा सकता है. गौरतलब है कि ईरान के खिलाफ इजराइल ही नहीं, बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन भी खुफिया निगरानी में शामिल हैं. वर्षों से अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर निगाह रखे हुए है, और इसके लिए मोसाद तथा MI-6 दोनों का सहयोग लिया जा रहा है.

    ईरान की चिंता: इजराइल की नई साजिश?

    इस पूरे घटनाक्रम ने ईरान की सुरक्षा एजेंसियों को बेचैन कर दिया है. एक ओर मिसाइल बेस पर हो रहे लगातार हमले, दूसरी ओर विदेशी खुफिया एजेंसियों की घुसपैठ… ईरान को डर है कि यह सब कुछ इजराइल की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है जो देश के न्यूक्लियर मिशन को रोकने के लिए रचा गया है. इजराइल ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति नहीं बनने देगा. वहीं अमेरिका की चुप्पी भी ईरान को असहज कर रही है. यही कारण है कि अब ईरान जासूसी के हर संभावित सुराग को खंगालना चाहता है. चाहे वह अफगानिस्तान से हो या किसी लीक हुई लिस्ट से.

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