बिना मिसाइल दागे ही इजराइल को नुकसान पहुंचाएगा ईरान, हमले के बाद कर ली बड़ी प्लानिंग

    Iran and Israel War: पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव अब वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को हिला सकता है. अमेरिका द्वारा ईरान पर हालिया सैन्य हमला एक ऐसे संघर्ष को जन्म दे सकता है, जिसकी गूंज दुनिया के हर कोने तक सुनाई देगी.

    Iran and Israel War President masoud first reaction on attacked by america
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    Iran and Israel War: पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव अब वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को हिला सकता है. अमेरिका द्वारा ईरान पर हालिया सैन्य हमला एक ऐसे संघर्ष को जन्म दे सकता है, जिसकी गूंज दुनिया के हर कोने तक सुनाई देगी.

    युद्ध के बढ़ते संकेत और ईरान की चेतावनी

    ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिका के हमले को यूं ही नहीं जाने देगा. जवाबी कार्रवाई का इशारा पहले ही मिल चुका है. इसके बाद, ईरान समर्थित समूहों द्वारा इज़राइल पर करीब 30 मिसाइलें दागी गईं. अब ईरान की संसद ने एक ऐसा प्रस्ताव पारित किया है, जो केवल सैन्य नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक युद्ध की चेतावनी भी है.

    दुनिया की ऊर्जा धमनी

    ईरान ने संकेत दिया है कि वह रणनीतिक होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद कर सकता है. यह दुनिया के कुल समुद्री तेल परिवहन का लगभग 20% हिस्सा है. इस मार्ग से मुख्य रूप से एशियाई देशों भारत, चीन, पाकिस्तान आदि को तेल और गैस की आपूर्ति होती है. यह सिर्फ कच्चे तेल का रास्ता नहीं, बल्कि एलएनजी (LNG) और अन्य पेट्रोकेमिकल उत्पादों के निर्यात का भी एक अहम ज़रिया है. हालांकि संसद से यह प्रस्ताव पास हो चुका है, अंतिम निर्णय ईरान के सर्वोच्च नेता (Supreme Leader) को लेना है.

    क्या होगा वैश्विक और भारतीय बाजार पर असर?

    यदि होर्मुज स्ट्रेट को बंद किया गया, तो तेल की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल आ सकता है. इससे एशिया और यूरोप दोनों की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी. विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका इस कदम के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर सकता है, जिससे संकट और भी गहराएगा.

    भारत पर संभावित असर

    भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से पूरा करता है. लगभग 50% कच्चा तेल और गैस भारत इसी जलमार्ग से आयात करता है. भारत की 40% LNG कतर और 10% अन्य खाड़ी देशों से आती है. 21% कच्चा तेल इराक से और शेष अन्य खाड़ी देशों से आता है. इस रूट के बंद होते ही भारत में तेल और गैस की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं. साथ ही, भारत का खाड़ी देशों को होने वाला निर्यात महंगा हो जाएगा क्योंकि माल को वैकल्पिक लंबा रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिससे निर्यात लागत भी बढ़ेगी.

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