दो देशों की लड़ाई में जबरदस्ती घुसना अव्यावहारिक, इशारों ही इशारों में जयशंकर ने किसपर किया वार?

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की आग में झुलस रहा है. ईरान और इजराइल के बीच हालिया संघर्ष लगातार तेज होता जा रहा है. शुक्रवार सुबह से शुरू हुई लड़ाई शनिवार को भी थमी नहीं.

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    Iran and Israel War: मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की आग में झुलस रहा है. ईरान और इजराइल के बीच हालिया संघर्ष लगातार तेज होता जा रहा है. शुक्रवार सुबह से शुरू हुई लड़ाई शनिवार को भी थमी नहीं. इजराइल ने लगातार दूसरे दिन ईरान की परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक की, जिसे "ऑपरेशन राइजिंग लायन" नाम दिया गया है. दूसरी ओर, ईरान ने भी पूरे दमखम से जवाब दिया और "ट्रू प्रॉमिस 3" नाम से जबरदस्त सैन्य अभियान चलाया. इस ऑपरेशन के तहत ईरान ने इजराइल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. इस तेजी से बिगड़ते हालात पर भारत की भी नजर बनी हुई है. भारत ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

    जबरदस्ती दखल नहीं कर सकते

    भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस युद्ध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे द्विपक्षीय संघर्षों में जब तक दोनों पक्ष खुद बातचीत को तैयार न हों, किसी तीसरे देश का दखल देना व्यावहारिक नहीं है. जयशंकर ने कहा, कि "हमारे ईरान और इजराइल, दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. हमने शांति की अपील की है, लेकिन अगर दोनों पक्ष ही बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं, तो बाहरी किसी भी देश के लिए इसमें शामिल होना सही तरीका नहीं है."

    उन्होंने बिना किसी का नाम लिए यह भी संकेत दिया कि कई बार बाहरी शक्तियां जबरन हस्तक्षेप करने की कोशिश करती हैं, जो उचित नहीं है. यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देशों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जो अकसर ऐसे मुद्दों में अपनी भूमिका जताते हैं.

    ईरान-इजराइल संघर्ष की वजह क्या है?

    ईरान और इजराइल के बीच का यह टकराव कोई अचानक शुरू हुई जंग नहीं है. दोनों देशों के बीच पुराना वैचारिक और रणनीतिक तनाव चला आ रहा है. हाल के महीनों में जब यह रिपोर्ट सामने आई कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है, तभी से इजराइल सतर्क हो गया था. 

    इजराइल को यह डर था कि अगर ईरान परमाणु शक्ति बनता है तो यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा खतरा होगा. यही वजह है कि इजराइल ने सबसे पहले ईरान की परमाणु ठिकानों को ही निशाना बनाया. अमेरिका शुरू से इजराइल का समर्थन कर रहा है. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमले से पहले ही इस संघर्ष की आशंका जता दी थी.

    भारत की भूमिका: शांति की पहल

    भारत फिलहाल इस संघर्ष में किसी भी पक्ष के साथ खड़ा नहीं हुआ है. भारत की कोशिश है कि दोनों देश आपसी बातचीत से इस तनाव को कम करें. विदेश मंत्री जयशंकर का संदेश स्पष्ट है कि भारत युद्ध नहीं, शांति का पक्षधर है.

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