Iran and Israel War: ईरान को हथियारों की सप्लाई कर रहा है चीन, क्या नेतन्याहू के पक्ष में आएंगे ट्रंप?

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में हालात तेजी से बदल रहे हैं. इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ चुकी है. इजरायल ने शुक्रवार को 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' की शुरुआत करते हुए तेहरान समेत कई बड़े शहरों पर जबरदस्त मिसाइल हमला किया.

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    क्या ईरान को हथियारों की सप्लाई कर रहा है चीन

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में हालात तेजी से बदल रहे हैं. इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ चुकी है. इजरायल ने शुक्रवार को 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' की शुरुआत करते हुए तेहरान समेत कई बड़े शहरों पर जबरदस्त मिसाइल हमला किया.  रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल ने 200 से ज्यादा सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें मिसाइल निर्माण इकाइयां, सेना के अड्डे और ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों के आवास शामिल थे. 

    इसके जवाब में, ईरान ने भी तेल अवीव पर करीब 100 बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दीं. हैरानी की बात यह रही कि इजरायल की मशहूर आयरन डोम और डेविड स्लिंग रक्षा प्रणाली भी इस हमले को पूरी तरह रोक नहीं पाईं. 

    इस जंग में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गए हैं. वहीं ईरान ने रूस से मदद की गुहार लगाई है. अब सभी की निगाहें चीन पर टिकी हैं. बड़ा सवाल है – क्या चीन ईरान को पाकिस्तान की तरह हथियारों से मजबूत कर रहा है? अगर हां, तो कौन से हथियार चीन ने ईरान को दिए हैं? आइए, इस छिपी साझेदारी को समझते हैं.

    ईरान और चीन: पुरानी दोस्ती, मजबूत सैन्य गठजोड़

    ईरान और चीन के रिश्ते कोई हालिया घटनाक्रम नहीं हैं. 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान ही चीन ने ईरान को हथियार सप्लाई करने की शुरुआत कर दी थी. उस समय जब पश्चिमी देशों ने ईरान पर हथियार खरीदने पर पाबंदी लगा दी थी, चीन और उत्तर कोरिया ने इस मौके को भुनाया और ईरान के बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता बन गए. 

    चीन ने उस दौर में ईरान को HY-2 (सिल्कवर्म) एंटी-शिप मिसाइलें दीं. जब अमेरिका ने चीन को घेरा तो चीन ने इसका ठीकरा उत्तर कोरिया पर फोड़ दिया, लेकिन खुफिया रिपोर्ट्स ने साफ किया कि कुछ मिसाइलें सीधे चीन से ईरान पहुंची थीं. इसके बाद 1990 के दशक में भी चीन ने ईरान को C-801 और C-802 क्रूज मिसाइलें बेचीं, जो ईरान की नौसेना के लिए बहुत बड़ा रणनीतिक लाभ साबित हुईं. साथ ही, ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में भी चीन की भूमिका मानी जाती है.

    हाल ही में चीन से ईरान को मिला मिसाइल फ्यूल

    ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने हाल ही में चीन से बड़ी मात्रा में मिसाइल फ्यूल आयात किया है. इस फ्यूल से हजारों बैलिस्टिक मिसाइलें तैयार की जा सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक, जनवरी-फरवरी 2025 में ईरान के दो जहाज – गोलबोन और जयरान – चीन से 1,000 टन सोडियम परक्लोरेट लेकर लौटे. यह मिसाइल ईंधन का महत्वपूर्ण कच्चा माल है, जिससे ईरान करीब 260 छोटी मिसाइलें बना सकता है.

    चीन ने अब तक क्या-क्या हथियार दिए?

    मिसाइल तकनीक: 1990 के दशक में सिल्कवर्म, C-801 और C-802 क्रूज मिसाइलें. ड्रोन तकनीक: ईरान के शाहेद सीरीज ड्रोन के डिजाइन और कंपोनेंट्स में चीन की तकनीक की झलक देखी गई है. साइबर सुरक्षा: चीन ने ईरान को साइबर डिफेंस और सर्विलांस सिस्टम में भी सहयोग दिया है.

    छुपकर हो रही हथियारों की सप्लाई

    चीन अक्सर ईरान को 'डुअल यूज़' यानी नागरिक और सैन्य दोनों तरह के उपकरण भेजता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस पर सीधा आरोप न लगे. कई बार चीन ये तकनीकें पाकिस्तान या उत्तर कोरिया के रास्ते भी ईरान तक पहुंचाता है. इस छिपे हुए समर्थन ने पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा दी है. अगर चीन खुलकर ईरान के साथ खड़ा हो जाता है तो इस जंग का दायरा कहीं बड़ा और खतरनाक हो सकता है.
     

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