व्यर्थ गया अमेरिका का हमला, दूसरे देश परमाणु देने को तैयार! रूस के पूर्व राष्ट्रपति का बड़ा दावा

    Iran and Israel War: ईरान, अमेरिका और इजरायल के बीच गहराते तनाव के बीच रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में खलबली मचा दी है.

    Iran and Israel War attacked on nuclear sites waste
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    Iran and Israel War: ईरान, अमेरिका और इजरायल के बीच गहराते तनाव के बीच रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में खलबली मचा दी है. मेदवेदेव का दावा है कि अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हालिया हमले व्यर्थ साबित हुए हैं, और इसका परिणाम अब ईरान को परमाणु हथियार मिलने के रूप में सामने आ सकता है.

    हमले नाकाम, ईरान और मजबूत

    मेदवेदेव ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबी पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने अमेरिका की कार्रवाई को "रणनीतिक विफलता" बताया. उन्होंने कहा, अमेरिकी बमबारी से ईरान के परमाणु इंफ्रास्ट्रक्चर को खास नुकसान नहीं पहुंचा. संवर्धन और हथियार निर्माण की प्रक्रिया पहले की तरह जारी रह सकती है. इस हमले ने ईरान को नुकसान पहुंचाने के बजाय, उसे वैश्विक सहानुभूति और राजनीतिक समर्थन दिलाया है.

    ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हो सकते हैं कई देश

    मेदवेदेव का सबसे चौंकाने वाला दावा यह है कि अब कई देश ईरान को खुले तौर पर परमाणु तकनीक या हथियार उपलब्ध कराने पर विचार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस कदम ने वैश्विक सामरिक संतुलन को बिगाड़ दिया है. अब जब अमेरिका ने बिना वैध कारण एक देश की संप्रभुता पर हमला किया है, तो कई राष्ट्र ईरान को सैन्य रूप से समर्थन देने के पक्ष में आ सकते हैं.

    इजरायल में डर, अमेरिका की साख पर सवाल

    मेदवेदेव ने यह भी कहा कि ईरान द्वारा इजरायल पर जवाबी हमले से पूरे क्षेत्र में भय और अनिश्चितता का माहौल है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका एक और जमीनी युद्ध में उलझ सकता है, जिसकी कीमत उसे वैश्विक स्तर पर चुकानी पड़ सकती है.

    डोनाल्ड ट्रंप पर सीधा निशाना

    मेदवेदेव ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा. ट्रंप अब ‘शांति का दूत’ कहे जाने लायक नहीं बचे हैं, उन्होंने अमेरिका को एक नए युद्ध में धकेल दिया है. नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीद अब छोड़ देनी चाहिए, मेदवेदेव ने चुटकी ली.

    क्या आगे परमाणु संकट और गहराएगा?

    मेदवेदेव के इन बयानों ने वैश्विक चिंता और अधिक बढ़ा दी है. यदि वाकई ईरान को परमाणु हथियारों का समर्थन मिलना शुरू हो गया, तो यह पूरे मध्य-पूर्व और वैश्विक सुरक्षा ढांचे के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.

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