अमेरिका तो गयो! ईरानी राजदूत ने UNSC में किया बड़ा ऐलान; अमेरिका को क्यों मारना चाहिए गिनवा दिए 5 बड़े कारण

    ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध ने एक अलग राह पकड़ ली है. दो देशों के बीच की ये जंग विश्व युद्ध की राह बढ़ती जा रही है. यह सब भी तब हुआ जब शनिवार को अमेरिका ने ईरान की परमाणु साइट्स पर हमले किए. इस हमले में 900 से अधिक लोग मारे गए. यहां तक की 3 हजार से अधिक लोग घायल हुए. इसके बाद से ही ईरान बदला लेने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में UNSC में ईरानी राजदूत ने अमेरिका पर आखिर क्यों हमला करना चाहिए इसके 5 तर्क दिए हैं.

    Iran and Israel War iran will take revenge back gave 5 key points
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    Iran and Israel War: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बंकर-बस्टर हमले के बाद मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर पहुंच गया है. इसी बीच एक बड़ा संकेत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आया है, जहां ईरान के स्थायी राजदूत आमिर सईद इरावानी ने खुलकर ऐलान किया है कि अमेरिका को जवाब जरूर मिलेगा. उन्होंने इस हमले को "बिना वैध कारण के आक्रामकता" करार देते हुए 5 अहम वजहें गिनाईं, जो ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई को जायज ठहराती हैं.

    अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई क्यों जरूरी है?

    ईरान के राजदूत इरावानी ने संयुक्त राष्ट्र में दिए गए अपने बयान में पांच बड़े बिंदुओं के माध्यम से अमेरिका पर तीखा हमला बोला.

    1. संप्रभुता का उल्लंघन: अमेरिका ने ईरान की संप्रभुता का सीधा उल्लंघन किया, जबकि ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत अपनी जिम्मेदारियों का पालन कर रहा था. किसी भी वैध आधार के बिना हमला किया गया.
    2. आतंकवाद को समर्थन: अमेरिका पर आरोप है कि वह मध्य-पूर्व में आतंकवादियों का परोक्ष समर्थन करता है और गाजा पर इजरायली हमलों पर मौन रहता है. इरावानी ने कहा, "दुनिया भले चुप रहे, लेकिन ईरान चुप नहीं बैठेगा."
    3. वार्ता से पहले हमला: अमेरिका और ईरान के बीच 16 जून को ओमान में परमाणु वार्ता होनी थी. लेकिन इससे ठीक 3 दिन पहले, 13 जून को इजरायल द्वारा ईरान पर हमला किया गया. इससे साफ है कि कौन वार्ता से पीछे हटा.
    4. कासिम सुलेमानी की हत्या: इरावानी ने यूएन में फिर से जनरल कासिम सुलेमानी की 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में हुई हत्या का मुद्दा उठाया और कहा कि एक शीर्ष सैन्य अफसर की हत्या का बदला आज भी अधूरा है.
    5. शांति प्रयासों पर हमला: इजरायल के साथ संघर्ष के बावजूद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघाची यूरोप के साथ शांति वार्ता की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अमेरिका को यह प्रयास भी रास नहीं आया और उसने सीधे ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाया.

    ईरान को मिला वैश्विक समर्थन

    ईरान को इस मसले पर रूस, चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देशों का समर्थन मिल रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे "ईरान की संप्रभुता पर सीधा हमला" करार दिया है. वहीं उत्तर कोरिया ने अमेरिका पर “दुनिया को अस्थिर करने वाला ताकतवर आतंकी” होने का आरोप लगाया.

    अब सवाल यह नहीं कि ईरान बदला लेगा या नहीं, बल्कि यह है कि कब और कैसे?

    ईरान की तरफ से पलटवार की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन यह कब और किस रूप में होगा, यह अब दुनिया की नजरों का केंद्र बन चुका है. क्या यह एक बड़ा सैन्य हमला होगा या छिपे तरीके से जवाबी कार्रवाई? इसकी तस्वीर आने वाले कुछ दिनों में साफ हो सकती है.

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