मुंबई: दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक एप्पल की मैन्युफैक्चरिंग रणनीति में भारत की भूमिका लगातार मजबूत होती जा रही है. ताज़ा घटनाक्रम में, एप्पल के सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन ने भारत में ₹12,700 करोड़ (करीब 1.49 बिलियन डॉलर) का एक और बड़ा निवेश किया है. इस निवेश का उद्देश्य भारत में iPhone के उत्पादन को और अधिक तेज़ी से बढ़ाना है.
यह निवेश ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एप्पल के CEO टिम कुक से सार्वजनिक रूप से अपील की थी कि वे भारत में उत्पादन का विस्तार न करें और अमेरिका में ही फैक्ट्रियों पर फोकस करें. बावजूद इसके, फॉक्सकॉन ने ट्रंप की सलाह को नजरअंदाज़ करते हुए भारत में अपनी प्रतिबद्धता को और पुख्ता किया है.
कहां हुआ निवेश और क्या है महत्व?
फॉक्सकॉन ने यह निवेश अपनी सिंगापुर इकाई के जरिए तमिलनाडु स्थित युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में किया है. यह निवेश पिछले पांच दिनों में चरणबद्ध तरीके से किया गया है और इसका मकसद तमिलनाडु में iPhone उत्पादन की क्षमता को दोगुना करना है.
इसके अलावा कर्नाटक के बेंगलुरु में फॉक्सकॉन पहले ही ₹23,139 करोड़ (2.7 बिलियन डॉलर) की लागत से एक अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट पर काम कर रही है, जहां उत्पादन इस साल के अंत तक शुरू हो सकता है.
ट्रंप की नाराजगी और एप्पल की रणनीति
हाल ही में कतर के दोहा में एक बिजनेस कार्यक्रम में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया कि उन्होंने टिम कुक से कहा है, "टिम, तुम मेरे अच्छे दोस्त हो. लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम भारत में प्रोडक्शन कर रहे हो. मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में निर्माण करो. इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है."
ट्रंप का यह बयान उनके “अमेरिका फर्स्ट” नीति को दोहराता है, जिसके तहत वे अमेरिकी कंपनियों से अमेरिका में ही उत्पादन बढ़ाने की वकालत करते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि भारत में टैरिफ सिस्टम जटिल है, और इसीलिए अमेरिका को टैरिफ में राहत देने की डील भारत ने पेश की है.
हालांकि, टिम कुक और एप्पल इस समय एक बिल्कुल अलग दिशा में सोच रहे हैं.
भारत में क्यों बढ़ रहा है एप्पल का निवेश?
चीन से सप्लाई चेन हटाने की रणनीति
कोविड-19 महामारी, चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध और चीन में लॉकडाउन्स ने एप्पल को यह समझा दिया कि उसकी सप्लाई चेन को विविधता देना जरूरी है. भारत इसके लिए सबसे मुफीद जगह साबित हो रहा है.
सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं
भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम जैसे नीतिगत समर्थन ने फॉक्सकॉन, टाटा और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रेरित किया है.
भारत का उभरता स्मार्टफोन बाजार
भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है. यहां लोकल प्रोडक्शन से लागत घटती है और ब्रांड की हिस्सेदारी बढ़ती है. फिलहाल भारत में एप्पल की बाजार हिस्सेदारी लगभग 6-7% है, लेकिन इस निवेश के बाद इसमें तेजी से वृद्धि की संभावना है.
एक्सपोर्ट का हब बनता भारत
एप्पल भारत में बनाए गए लगभग 70% iPhone को एक्सपोर्ट करता है. वित्त वर्ष 2023-24 में एप्पल ने ₹1.49 लाख करोड़ (17.4 बिलियन डॉलर) के iPhone भारत से निर्यात किए हैं. 2024 में यह आंकड़ा ₹1.88 लाख करोड़ (22 बिलियन डॉलर) तक पहुंच सकता है.
स्किल्ड लेबर और इंफ्रास्ट्रक्चर
हालांकि भारत की लेबर फोर्स चीन के मुकाबले कम अनुभवी है, लेकिन इसमें तेजी से सुधार हो रहा है. फॉक्सकॉन और टाटा जैसे पार्टनर अब लोकल टैलेंट को ट्रेन कर रहे हैं और मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं का विस्तार कर रहे हैं.
भारत बन रहा है iPhone का नया घर
टिम कुक ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि "अमेरिका में बिकने वाले हर दो iPhone में से एक अब भारत में बना है."
उन्होंने आगे कहा कि भारत अब एप्पल के लिए न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग हब है, बल्कि एक रणनीतिक रूप से अहम बाजार भी बनता जा रहा है. कंपनी भारत में न सिर्फ iPhone, बल्कि भविष्य में AirPods, Apple Watch और iPad जैसे प्रोडक्ट्स की भी असेंबली बढ़ाने की योजना बना रही है.
भविष्य की योजना:
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौजूदा रफ्तार बरकरार रही, तो 2026 तक भारत में सालाना 60 मिलियन (6 करोड़) iPhone बनाए जाएंगे, जो मौजूदा उत्पादन क्षमता से दोगुना होगा. इसके साथ ही भारत चीन के बाद एप्पल का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र बन सकता है.
ग्लोबल शिपमेंट और भारत की हिस्सेदारी
IDC की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में एप्पल के वैश्विक iPhone शिपमेंट में भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. जहां पहले चीन का दबदबा था, वहीं अब भारत तेजी से उभर रहा है.
फिलहाल हर 5 में से 1 iPhone अब भारत में बना है, जो 2020 के मुकाबले 400% वृद्धि दर्शाता है.
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