रात में औरतों के कपड़े क्यों पहनते थे NT Ramarao? जानिए आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की ये दिलचस्प कहानी

    NTR का करियर किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था. धार्मिक फिल्मों से सुपरस्टार बने इस अभिनेता ने राजनीति में कदम रखा और देखते ही देखते मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए.

    interesting story of former Chief Minister of Andhra Pradesh NT Ramarao
    NT Ramarao

    भारत में नेताओं के बारे में अक्सर कहा जाता है कि राजनीति से पहले उनका कोई और चेहरा रहा है – अभिनेता, समाजसेवी या व्यापारी. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि किसी राज्य का मुख्यमंत्री रात में महिला वस्त्र पहनने की सलाह पर अमल कर रहा हो? यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नंदमुरी तारक रामाराव (NTR) की ज़िंदगी की सच्चाई है.

    सिनेमा से सियासत तक का सफर

    NTR का करियर किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था. धार्मिक फिल्मों से सुपरस्टार बने इस अभिनेता ने राजनीति में कदम रखा और देखते ही देखते मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए. लेकिन जितनी दिलचस्प उनकी फिल्मों की कहानियां थीं, उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प था उनका निजी जीवन.

    क्यों पहनते थे महिला कपड़े?

    NTR के बारे में कहा जाता है कि वे रोज रात में साड़ी और ब्लाउज़ पहनते थे. यह बात लंबे समय तक छुपी रही, लेकिन जब खुली तो सियासी गलियारों में हलचल मच गई. बताया गया कि एक ज्योतिषी ने उन्हें सुझाव दिया था कि यदि वे ऐसा करते हैं तो प्रधानमंत्री बनने की संभावना बढ़ जाएगी. हालांकि वे प्रधानमंत्री तो नहीं बने, लेकिन ये आदत सालों तक चर्चा का विषय रही.

    भगवा वेश और चुनावी रथ की शुरुआत

    NTR पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो संन्यासी जैसे भगवा कपड़े पहनकर ऑफिस जाया करते थे. उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए ‘रथ यात्रा’ का कांसेप्ट शुरू किया, जो बाद में भारतीय राजनीति की पहचान बन गई.

    दूसरी शादी और सियासी बवाल

    पहली पत्नी बासव तारकम के निधन के आठ साल बाद, 70 वर्ष की उम्र में, NTR ने दूसरी शादी की – लेखिका लक्ष्मी पार्वती से. यह रिश्ता न सिर्फ पारिवारिक तनाव का कारण बना, बल्कि उनकी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) में भी बगावत का कारण बन गया. उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने विद्रोह कर पार्टी और सत्ता पर नियंत्रण पा लिया.

    प्रेम या रणनीति?

    लक्ष्मी पार्वती से NTR की मुलाकात तब हुई जब वह उनकी जीवनी लिख रही थीं. कुछ लोग इस रिश्ते को भावनात्मक सहारा मानते हैं, जबकि कुछ इसे रणनीतिक गठबंधन बताते हैं. इस पर आज भी बहस जारी है.

    बचपन में दूध बेचते थे NTR

    राजनीति और फिल्मों की चकाचौंध से बहुत पहले, NTR का जीवन बेहद साधारण था. वे बचपन में दूध बेचने का काम करते थे. उनका अनुशासन और आत्मनिर्भरता उनकी सफलता की नींव थी.

    मृत्यु और विरासत

    18 जनवरी 1996, को NTR का निधन हुआ. इसके वर्षों बाद, लक्ष्मी पार्वती ने उनकी अस्थियों को विसर्जित किया. आज वे YSR कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं और राजनीतिक रूप से कम सक्रिय हैं, लेकिन सांस्कृतिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी बनी हुई है.

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