नई दिल्ली: भारत की समुद्री ताकत को नई ऊंचाई देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय नौसेना को नया स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रीगेट 'INS हिमगिरी' सौंप दिया गया है. यह अत्याधुनिक युद्धपोत 'प्रोजेक्ट 17A' के तहत तैयार किया गया है और 'आत्मनिर्भर भारत' की रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने वाली एक अहम कड़ी बन गया है. इसके निर्माण में न केवल तकनीकी परिष्कार का प्रदर्शन हुआ है, बल्कि यह भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा में एक निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है.
INS हिमगिरी को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया है. यह 'नीलगिरी क्लास' का तीसरा स्टेल्थ फ्रीगेट है, इससे पहले INS नीलगिरी और INS उदयगिरी को नौसेना में शामिल किया जा चुका है.
सतह, वायु और पनडुब्बियों पर एक साथ वार
INS हिमगिरी की विशेषताएं इसे एक बहुआयामी लड़ाकू युद्धपोत बनाती हैं. इसकी क्षमताएं सतह से हवा, सतह से सतह और सतह से पनडुब्बी तक के युद्ध परिदृश्यों में प्रभावशाली साबित होती हैं.
मुख्य हथियार प्रणाली:
इस युद्धपोत में दो हेलिकॉप्टरों को लैंडिंग और ऑपरेशनल सपोर्ट देने की पूरी व्यवस्था है, जिससे इसकी निगरानी और टोही क्षमताएं और भी सशक्त हो जाती हैं.
स्वदेशी निर्माण: आत्मनिर्भर भारत की मिसाल
INS हिमगिरी न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि 75% से अधिक उपकरण स्वदेशी रूप से निर्मित हैं. इसके डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक, सब कुछ भारतीय हाथों में हुआ है. इसका डिज़ाइन भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा तैयार किया गया है, और इस युद्धपोत के निर्माण में प्रयुक्त स्टील भी पूर्णतः भारत में निर्मित है.
6600 टन वजनी यह युद्धपोत 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है — जो इसे दुश्मन की नज़र से बचाते हुए तेज़ी से स्थान परिवर्तन करने की सामर्थ्य देता है.
प्रोजेक्ट 17A: भारतीय नौसेना की रीढ़
प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल 7 अत्याधुनिक स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रीगेट्स बनाए जा रहे हैं, जो 2000 के दशक में लॉन्च किए गए शिवालिक क्लास फ्रीगेट्स (प्रोजेक्ट 17) का ही विकसित और अधिक शक्तिशाली संस्करण हैं. इन सभी फ्रीगेट्स के नाम भारत की पर्वत श्रृंखलाओं पर आधारित हैं, जो उनके सामरिक और प्रतीकात्मक दोनों महत्व को रेखांकित करते हैं:
इसमें से कई पोत पहले ही नौसेना में शामिल हो चुके हैं, जबकि शेष निर्माण और समुद्री परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं.
भारत की समुद्री सुरक्षा में नई धार
वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास स्टेल्थ फ्रीगेट्स की अच्छी खासी संख्या है. रूस से मिले 10 फ्रीगेट्स (तलवार क्लास और तेग क्लास), प्रोजेक्ट 17 के तहत 3 शिवालिक क्लास फ्रीगेट्स, और अब प्रोजेक्ट 17A के अंतर्गत 7 नई पीढ़ी के फ्रीगेट्स मिलाकर आने वाले समय में 20 से अधिक गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट्स भारतीय नौसेना के बेड़े का हिस्सा होंगे.
यह संख्या भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक स्थायी और प्रभावशाली समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करती है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों और व्यापारिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिहाज़ से यह भारत की तैयारियों को एक नई ऊंचाई देता है.
टेक्नोलॉजी, रणनीति और आत्मनिर्भरता का संगम
INS हिमगिरी का नौसेना में शामिल होना सिर्फ एक नया जहाज जोड़ना नहीं है, बल्कि यह भारतीय रक्षा उत्पादन की आत्मनिर्भरता, तकनीकी परिपक्वता और रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रतीक है.
यह दर्शाता है कि भारत अब युद्धपोतों की डिजाइन और निर्माण में पूरी तरह सक्षम है और अपनी सुरक्षा जरूरतों को घरेलू उत्पादन से पूरा कर सकता है. इसके साथ-साथ यह भारतीय उद्योग और रक्षा अनुसंधान के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग की दिशा में भी एक मजबूत संकेत है.
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