फेसबुक से नकली नोट छापना सीखा, 8वीं पास निकला मास्टरमाइंड; इंदौर में बड़े गिरोह का पर्दाफाश

    इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. नकली नोटों के कारोबार से जुड़े एक सक्रिय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने शहर के अनुराग नगर स्थित होटल इंटरनिटी में छापेमारी की.

    Indore 5 accused arrested fake currency
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    इंदौर पुलिस की क्राइम ब्रांच को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. नकली नोटों के कारोबार से जुड़े एक सक्रिय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने शहर के अनुराग नगर स्थित होटल इंटरनिटी में छापेमारी की. इस कार्रवाई के दौरान होटल के एक कमरे से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके कब्जे से ₹500 के नकली नोटों में कुल ₹3.85 लाख की राशि और नोट छापने का पूरा सेटअप बरामद हुआ.

    कमरे में चल रही थी ‘फैक्ट्री’, होटल बना अड्डा

    क्राइम ब्रांच को खुफिया सूचना मिली थी कि होटल इंटरनिटी के रूम नंबर 301 में कुछ संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं. जब टीम मौके पर पहुंची, तो अब्दुल शोएब, रहीश खान और प्रफुल कुमार कोरी नामक तीन लोग नकली नोट तैयार करते हुए पकड़े गए. तलाशी में 500-500 रुपये के जाली नोटों की गड्डियां और नोट छापने के उपकरण मिले.

    पूछताछ में उगले राज, भोपाल से भी दो आरोपी गिरफ्तार

    गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि उन्होंने तेजी से पैसा कमाने की चाहत में नकली नोटों का रैकेट शुरू किया था. आरोपी नोटों की सप्लाई एजेंटों के ज़रिए विभिन्न शहरों में कर रहे थे. उनकी निशानदेही पर भोपाल से दो और आरोपियों—आकाश घारु और शंकर चौरसिया—को भी गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से बड़ी संख्या में नकली नोट बरामद हुए.

    सोशल मीडिया से सीखी फर्जी छपाई, मास्टरमाइंड 8वीं पास

    सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह रहा कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड केवल 8वीं कक्षा तक पढ़ा हुआ है. डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश त्रिपाठी ने बताया कि उसने फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से नकली नोट छापने की तकनीक सीखी और छिंदवाड़ा की एक गैंग से संपर्क कर नेटवर्क तैयार किया.

    सतर्कता से टली बड़ी वारदात

    क्राइम ब्रांच की त्वरित और सुनियोजित कार्रवाई ने इस गिरोह के ज़रिए फैलने वाले नकली नोटों के जाल को समय रहते रोक लिया. पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है और तकनीकी जांच के ज़रिए यह पता लगाने की कोशिश में है कि इस रैकेट के तार और किन-किन शहरों या गैंग्स से जुड़े हो सकते हैं.

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