नई दिल्ली: पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में मंगलवार देर रात भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान तथा पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा. इन सटीक मिसाइल हमलों में लश्कर-ए-तैयबा के गढ़ बहावलपुर को भी भारी क्षति पहुंचाई गई. रक्षा सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई “केंद्रित, नपी-तुली और गैर-उकसावे वाली” थी, ताकि हालात नियंत्रण से बाहर न जाएँ. ऑपरेशन सिंदूर के बाद LOC पर पाकिस्तान द्वारा फिर से गोलीबारी शुरू हो गई है.
कारगिल से लौट आए हॉवित्जर
बहु-प्रचलित FH-77B बोफोर्स हॉवित्जर तोप ने कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय) में अपनी अचूकता और लंबी रेंज से दुश्मन के बचाव संरचनाओं को ध्वस्त कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पहलगाम हमले के बाद इसी हॉवित्जर तोपखाने को फिर मोर्चे पर तैनात किया गया है, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारियों में घोलती रही ताकत का उदाहरण मिलता है.
तोपखाने का जबर्दस्त प्रदर्शन
गोले-बम की मात्रा: कारगिल के दौरान भारतीय तोपखाने ने कुल मिलाकर लगभग 2,50,000 गोले, बम और रॉकेट दागे.
दैनिक फायरिंग दर: 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और MBRL द्वारा प्रतिदिन लगभग 5,000 गोलाबारी की गई.
टाइगर हिल के दिन: महत्वपूर्ण चढ़ाई के दिन 9,000 गोलों का इस्तेमाल हुआ.
अद्भुत सतत आक्रमण: चरम अवधि में प्रत्येक बैटरी ने 17 दिनों तक, प्रति मिनट एक से अधिक राउंड की रफ्तार से लगातार फायर किया—द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का यह सबसे लंबा निरंतर तोपखाने आक्रमण रहा. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारतीय तोपखाने का पिछला रिकॉर्ड ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सीमापार कार्रवाइयों में भी दुश्मन के मनोबल और अवसंरचना पर टूट डालने के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकता है.
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