नई दिल्ली: हालिया सैन्य अभियानों में भारत की मिसाइल शक्ति ने एक बार फिर खुद को साबित किया है. ब्रह्मोस, स्कैल्प और इजरायली रैम्पेज मिसाइलों ने पाकिस्तान के भीतर सटीक हमले कर दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. इन सफल अभियानों के बाद भारतीय वायुसेना अब अपनी लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
इसी क्रम में भारतीय वायुसेना दो इजरायली मिसाइल प्रणालियों 'विंड डेमन' और 'आइस ब्रेकर' का गहन मूल्यांकन कर रही है. माना जा रहा है कि इन दोनों मिसाइलों का अधिग्रहण भविष्य में भारतीय वायुसेना के रणनीतिक हथियारों के जखीरे को एक नई धार दे सकता है.
क्यों जरूरी हैं स्टैंड-ऑफ मिसाइलें?
भारतीय वायुसेना का मुख्य उद्देश्य है दुश्मन की सीमा में गहराई तक हमला करने की क्षमता विकसित करना, वो भी बिना अपने लड़ाकू विमानों और पायलटों को अत्यधिक खतरे में डाले. यही कारण है कि वायुसेना स्टैंड-ऑफ मिसाइलों में निवेश कर रही है, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर से दुश्मन के सुरक्षित और अत्यधिक संरक्षित ठिकानों को सटीकता से निशाना बना सकती हैं.
हाल के अभियानों में रैम्पेज मिसाइल की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि इजरायली हथियार भारत की रणनीतिक जरूरतों के लिए बेहद उपयुक्त हैं. इसी भरोसे के साथ भारत अब इजरायल की नई पीढ़ी की दो मिसाइलों की ओर देख रहा है.
मिसाइल 1: विंड डेमन- कम ऊंचाई से सटीक वार
विंड डेमन इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) की एक उन्नत सामरिक क्रूज मिसाइल है, जिसे 2024 में पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया. इसे विशेष रूप से गहरी घुसपैठ और दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने (SEAD मिशन) के लिए डिजाइन किया गया है.
खास खूबियां:
रणनीतिक महत्व:
विंड डेमन दुश्मन के एयर डिफेंस नेटवर्क में सेंध लगाने में बेहद कारगर मानी जा रही है. इसकी कम ऊंचाई वाली उड़ान और इलाके का अनुसरण करने की क्षमता इसे रडार से बचने में सक्षम बनाती है.
मिसाइल 2: आइस ब्रेकर मल्टी-डोमेन हथियार
आइस ब्रेकर दरअसल राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स द्वारा विकसित 'सी ब्रेकर' का एयर-लॉन्च वर्जन है. इसे हवा, जमीन और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है, जो इसे बेहद लचीला बनाता है.
मुख्य विशेषताएं:
रेंज: 300 किलोमीटर से अधिक
वारहेड: 105 किलोग्राम मल्टी-इफेक्ट — विस्फोट, विखंडन या संरचनात्मक ध्वंस के लिए सक्षम.
लॉन्च प्लेटफॉर्म: लड़ाकू जेट, जमीन आधारित मोबाइल लॉन्चर और नौसैनिक युद्धपोत (कोरवेट, फ्रिगेट) से तैनाती संभव.
गाइडेंस सिस्टम: GPS/INS आधारित नेविगेशन, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सीकर, और AI-सक्षम ऑटोमैटिक टारगेट रिकग्निशन (ATR), जो GPS-जैमिंग वातावरण में भी सटीक लक्ष्य भेदन में सक्षम है.
सेंसर फ्यूजन: मल्टी-सेंसर डेटा के एकीकृत उपयोग से यह मिसाइल उच्च गति और जटिल वातावरण में भी बेहद सटीकता से लक्ष्य साध सकती है.
क्या बनाता है इसे खास?
आइस ब्रेकर का सबसे बड़ा फायदा है इसका मल्टी-प्लेटफॉर्म कम्पैटिबिलिटी और AI-बेस्ड टारगेटिंग सिस्टम. यह मिसाइल चीन के तेजी से विकसित हो रहे एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (A2/AD) सिस्टम का भी प्रभावी जवाब मानी जा रही है.
भारत के लिए क्या मायने रखती हैं ये मिसाइलें?
भारतीय वायुसेना का लक्ष्य केवल पाकिस्तान को ध्यान में रखकर अपनी स्ट्राइक कैपेबिलिटी बढ़ाना नहीं है, बल्कि यह चीन के साथ संभावित टकरावों को भी ध्यान में रखते हुए भविष्य की तैयारी कर रही है. विंड डेमन और आइस ब्रेकर जैसे स्टैंड-ऑफ हथियार भारत को अपने विरोधियों के अत्यधिक संरक्षित ठिकानों पर बिना सीमा पार किए सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करेंगे.
इसके अलावा, दोनों मिसाइलों की नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर के अनुकूलता भारतीय सैन्य बलों के आपसी समन्वय को और मजबूत करेगी, जिससे बहुस्तरीय युद्ध संचालन को कुशलता से अंजाम दिया जा सकेगा.
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