एयर इंडिया का प्लेन, अहमदाबाद में हुआ क्रैश, फिर जांच करने क्यों आ रही अमेरिकी एजेंसी? जानें सबकुछ

    हाल ही में अहमदाबाद हवाई अड्डे पर एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर लिया है.

    American agency coming to investigate Ahmedabad plane crash
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: हाल ही में अहमदाबाद हवाई अड्डे पर एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर लिया है. लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरते ही इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान में तकनीकी खराबी आ गई, जिसके चलते विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे के रनवे से कुछ ही दूरी पर क्रैश हो गया. विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें दो पायलट और 10 केबिन क्रू शामिल थे. सौभाग्य से सभी यात्री सुरक्षित बचा लिए गए, लेकिन इस हादसे ने भारत की विमानन सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    अब इस हादसे की जांच केवल भारत की सीमा तक सीमित नहीं रहेगी. अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) ने घोषणा की है कि वह भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के साथ मिलकर इस हादसे की संयुक्त जांच करेगा. अमेरिकी विशेषज्ञों की एक टीम जल्द ही भारत पहुंचने वाली है, जो विमान के मलबे, ब्लैक बॉक्स डेटा, तकनीकी दस्तावेजों और पायलटों की ट्रेनिंग रिकॉर्ड का विस्तार से अध्ययन करेगी.

    अमेरिका की जांच टीम क्यों शामिल हो रही है?

    यह सवाल स्वाभाविक है कि जब दुर्घटना भारत में हुई, विमान एयर इंडिया का था, तो अमेरिका की भूमिका क्यों जरूरी है? इसका जवाब अंतरराष्ट्रीय विमानन नियमों में छिपा है. अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के 'एनेक्स 13' नियम के अनुसार, यदि किसी दुर्घटनाग्रस्त विमान का निर्माण किसी अन्य देश में हुआ है, तो निर्माता देश की जांच एजेंसी को जांच में शामिल होने का अधिकार होता है.

    इस मामले में, दुर्घटनाग्रस्त विमान एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, जिसे अमेरिका की विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने बनाया था. इसलिए NTSB की भागीदारी पूरी तरह से नियमों के अनुरूप है और इसका मुख्य उद्देश्य तकनीकी खामियों की गहराई से जांच करना है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

    NTSB: कौन है यह एजेंसी?

    NTSB (National Transportation Safety Board) अमेरिका की एक स्वतंत्र और शक्तिशाली जांच एजेंसी है, जो विमान, रेल, समुद्री और सड़क हादसों की गहन जांच के लिए जानी जाती है. जब किसी अमेरिकी निर्मित विमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुर्घटना होती है, तो NTSB उस जांच में विशेषज्ञता प्रदान करता है.

    NTSB के पास अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, डिजिटल फाइट डेटा विश्लेषण प्रणाली और वैश्विक स्तर के विमान हादसा विश्लेषक मौजूद हैं. इस एजेंसी की रिपोर्ट्स वैश्विक विमानन सुरक्षा सुधारों की नींव मानी जाती हैं.

    हादसे से जुड़े शुरुआती सवाल

    प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद पायलट ने 'मेडे कॉल' (आपातकालीन संदेश) भेजा था, लेकिन इसके तुरंत बाद विमान से संपर्क टूट गया.

    विमान के कैप्टन के पास भले ही 8200 घंटे का अनुभव था, लेकिन को-पायलट की कुल उड़ान अवधि महज 1100 घंटे थी, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों में अपेक्षाकृत कम मानी जाती है.

    एयर इंडिया के कुछ विमानों की उम्र, रखरखाव के अभाव और पुरानी SOP (Standard Operating Procedure) पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं.

    क्या बदल सकता है इस जांच के बाद?

    अब जब NTSB इस मामले में शामिल हो गया है, तो यह जांच केवल तकनीकी पहलुओं तक सीमित नहीं रहेगी. संभावित डिजाइन खामियां, पायलट की ट्रेनिंग, एयर इंडिया के रखरखाव रिकॉर्ड, और सुरक्षा प्रक्रियाओं की समीक्षा की जाएगी.

    इस जांच के निष्कर्ष भारत की विमानन नीति और एयर इंडिया के संचालन ढांचे पर महत्वपूर्ण असर डाल सकते हैं. यदि इसमें कोई गंभीर लापरवाही या संरचनात्मक खामी सामने आती है, तो भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को एयर इंडिया और अन्य एयरलाइंस के खिलाफ कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं.

    भारत के लिए क्या सबक?

    यह हादसा भारत की तेजी से बढ़ती विमानन इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी है. जहां एयर ट्रैफिक बढ़ रहा है, वहीं विमान सुरक्षा, पायलट ट्रेनिंग और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस की गुणवत्ता पर दोबारा ध्यान देने की जरूरत है. DGCA पहले ही एयर इंडिया से सभी विमानों की हेल्थ रिपोर्ट मांग चुका है.

    इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एयरलाइंस के बेड़े को सिर्फ संख्या में नहीं, बल्कि गुणवत्ता और सुरक्षा के पैमाने पर भी मजबूत करना होगा.

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