नई दिल्ली: देश की आर्थिक स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के तमाम अधिकारी अक्सर सकारात्मक बयान देते हैं, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर एक नया विश्वास जगा दिया है. उन्होंने दावा किया है कि भारत बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. इस बयान ने न केवल देशवासियों को उत्साहित किया है, बल्कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी रेखांकित किया है.
7.80% की विकास दर और अर्थव्यवस्था में रफ्तार
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह बयान तब दिया जब भारतीय अर्थव्यवस्था ने अप्रत्याशित गति से प्रगति की है. अप्रैल-जून तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 7.80% रही है, जो अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से पहले की पांच तिमाहियों में सबसे ज्यादा थी. यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक संकटों और चुनौतियों के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया है.
भारत की आर्थिक रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है और इस रफ्तार से भारत की स्थिति अगले कुछ सालों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आएगी. संजय मल्होत्रा का यह बयान भारत के आर्थिक आत्मविश्वास और भविष्य की आर्थिक दिशा को स्पष्ट करता है.
जन-धन योजना: भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार
आरबीआई गवर्नर ने जन-धन योजना को भारत की आर्थिक तरक्की में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अब तक 55 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं. यह कदम देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया था, ताकि हर नागरिक को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच मिल सके और आर्थिक विकास का हिस्सा बन सके. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत लोगों को बचत, पेंशन, बीमा और लोन जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, जो न केवल उन्हें वित्तीय सुरक्षा देती हैं, बल्कि देश की समग्र अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती हैं.
वित्तीय समावेशन अभियान के अंतर्गत केंद्र सरकार और आरबीआई ने मिलकर इस योजना को आगे बढ़ाया है. इससे पहले कभी भी इतने बड़े पैमाने पर वित्तीय सेवाएं आम नागरिकों तक नहीं पहुंची थीं. यह योजना भारत के आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है.
भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति इस प्रक्रिया में शामिल हो और डिजिटल बैंकिंग की दिशा में कदम बढ़ाए. उन्होंने डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया और लोगों से कहा कि वे डिजिटल बैंकिंग और यूपीआई का अधिक से अधिक उपयोग करें. आजकल ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए लोगों को सावधान रहते हुए इन प्लेटफॉर्म्स का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए.
संजय मल्होत्रा ने खासतौर पर महिलाओं का उल्लेख किया और कहा कि महिलाएं देश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं. महिला सशक्तिकरण के उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि महिलाओं को वित्तीय योजना में शामिल करना, उन्हें बैंकिंग सेवाएं देना, और उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं तैयार करना, यह सब एक बड़ा बदलाव साबित हो रहा है.
केवाईसी की अहमियत और बैंकिंग धोखाधड़ी से बचाव
वित्तीय समावेशन अभियान के तहत एक और अहम कदम केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) प्रक्रिया को सख्ती से लागू करना है. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि खाताधारकों को केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि बैंक के खाते का गलत इस्तेमाल रोका जा सके. इससे न केवल धोखाधड़ी से बचाव होगा, बल्कि लोगों का विश्वास भी मजबूत होगा.
केवाईसी से बैंक को यह जानकारी मिलती है कि खाता किसका है, और इससे खातों के असुरक्षित इस्तेमाल को रोका जा सकता है. यह प्रक्रिया बैंकिंग प्रणाली को ज्यादा सुरक्षित और ट्रांसपेरेंट बनाती है.
ये भी पढ़ें- पुतिन-जिनपिंग से मुलाकात के पहले जेलेंस्की ने पीएम मोदी को किया फोन, चीन पहुंचते ही क्या हुई बातचीत?