नई दिल्ली: भारत सरकार ने देश की सुरक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए दो प्रमुख रक्षा सौदों की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. एक ओर भारतीय नौसेना के लिए छह अत्याधुनिक पनडुब्बियों की खरीद का रास्ता साफ किया गया है, तो दूसरी ओर वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए इजराइली रैम्पेज मिसाइलों की एक बड़ी खेप की खरीद की योजना को भी मंजूरी मिल चुकी है.
जर्मनी से 6 एडवांस्ड पनडुब्बियां खरीदेगा भारत
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया (P-75I)’ के तहत छह आधुनिक पनडुब्बियों के निर्माण और अधिग्रहण की प्रक्रिया को मंजूरी दी है. यह डील लगभग ₹70,000 करोड़ रुपये की मानी जा रही है. खास बात यह है कि ये पनडुब्बियां मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) की साझेदारी में भारत में ही बनाई जाएंगी.
इस परियोजना के पीछे सरकार की मंशा केवल पनडुब्बियां खरीदना नहीं, बल्कि देश में पारंपरिक पनडुब्बी निर्माण की स्वदेशी तकनीकी क्षमता विकसित करना है.
AIP टेक्नोलॉजी: गेम चेंजर होगी नई सबमरीन
इन पनडुब्बियों में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन को हर कुछ दिन में सतह पर आकर बैटरी चार्ज करनी पड़ती है, जिससे वे दुश्मन की निगरानी में आ जाती हैं.
AIP सिस्टम इस समस्या को दूर करता है और सबमरीन को लगभग 3 हफ्ते तक पानी के भीतर छिपे रहने की क्षमता देता है. यह तकनीक भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पनडुब्बियों की गुप्तता, संचालन समय और घातकता को कई गुना बढ़ा देती है.
भारत में विदेशी तकनीक से बनने वाली सबमरीन
जर्मन TKMS कंपनी के साथ करार के बाद, मझगांव डॉकयार्ड में ही इन पनडुब्बियों का निर्माण होगा. इससे न केवल भारत की रक्षा तैयारी मजबूत होगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी मजबूती मिलेगी.
TKMS का फ्यूल सेल बेस्ड AIP सिस्टम बेहद शांत और कंपन-रहित तकनीक है, जिससे सबमरीन को पकड़ना बेहद कठिन हो जाता है. DRDO भी भारतीय स्कॉर्पीन क्लास (कलवरी क्लास) पनडुब्बियों में अपना खुद का फ्यूल सेल AIP सिस्टम जोड़ने पर काम कर रहा है.
पुरानी पनडुब्बियों को हटाकर नई लाने की तैयारी
भारतीय नौसेना अगले 10 वर्षों में अपनी 10 से अधिक पुरानी पनडुब्बियों को हटाने की योजना पर काम कर रही है. इसलिए पारंपरिक के साथ-साथ परमाणु पनडुब्बियों की भी कई परियोजनाएं तैयार की जा रही हैं.
इसके तहत भारत में दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) के निर्माण की दिशा में भी काम चल रहा है, जिसमें निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) की महत्वपूर्ण भूमिका है.
इजराइली रैम्पेज मिसाइल खरीद की तैयारी
वहीं दूसरी ओर, भारत सरकार इजराइल से अत्याधुनिक रैम्पेज एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें खरीदने के लिए भी तैयार है. यह डील फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत की जाएगी ताकि भारतीय वायुसेना को जल्द से जल्द यह तकनीक मिल सके.
रैम्पेज मिसाइल: सटीकता और रफ्तार
इस मिसाइल की खासियत है कि यह सुपरसोनिक स्पीड से उड़ती है, जिससे इसे रोकना दुश्मन के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है.
"ऑपरेशन सिंदूर" में रैम्पेज का प्रदर्शन
हाल ही में हुए एक गुप्त अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में रैम्पेज मिसाइलों का प्रयोग किया गया था, जिसमें पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर बेहद सटीक हमले किए गए. इस सफलता के बाद भारतीय वायुसेना अब इस मिसाइल को अपने सभी लड़ाकू बेड़ों में शामिल करने पर विचार कर रही है.
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