नई दिल्ली: भारतीय सेना ने हाल ही में एक रणनीतिक सैन्य अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम देकर एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत की रक्षा रणनीति अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक और आक्रामक भी है. इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POJK) में स्थित 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया — और वह भी बिना एक भी सैनिक को सीमा पार भेजे.
इस पूरे अभियान की सबसे अहम बात यह रही कि इसमें सेना की आर्टिलरी (तोपखाना) का अत्यंत सटीक और अत्याधुनिक तकनीकों के साथ प्रयोग किया गया. इस हमले ने न केवल आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह किया, बल्कि भारत की सामरिक और तकनीकी क्षमता का नया परिचय भी दिया.
ऑपरेशन सिंदूर की खास बातें
सटीकता की मिसाल बनी आर्टिलरी स्ट्राइक
भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन के दौरान अमेरिका से आयातित एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर गन का उपयोग किया. यह तोप अत्यंत हल्की और उच्च गतिशीलता वाली है. इसके साथ प्रयुक्त हुआ एक्स-कैलिबर (Excalibur) प्रिसिशन गाइडेड एम्युनिशन, जो GPS से संचालित होता है और 40 किमी से अधिक दूरी पर सटीक वार करने में सक्षम है.
यह तकनीक सेना को यह सुविधा देती है कि वह सीमा पार किए बिना भी 25-35 किलोमीटर अंदर तक स्थित आतंकी ठिकानों को पिनपॉइंट कर नष्ट कर सके.
लॉइटरिंग एम्युनिशन:
इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने लॉइटरिंग एम्युनिशन का भी प्रयोग किया, जो आधुनिक युद्ध प्रणाली में एक क्रांतिकारी तकनीक मानी जाती है. इसे छोटे रेल-लॉन्चर से छोड़ा जाता है और यह ड्रोन की तरह उड़ान भरकर लक्ष्य की तलाश करता है. टारगेट मिलते ही यह सीधे टकरा कर खुद को विस्फोटित कर देता है.
इसमें लगा GPS सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर में भी इसे सक्षम बनाता है जिससे यह दुश्मन के रडार से बचते हुए अपना मिशन पूरा करता है.
नष्ट किए गए आतंकियों के ठिकाने
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POJK):
सवाई नाला कैंप –
लोकेशन: एलओसी से 30 किमी अंदर
संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
विशेषता: बेसिक ट्रेनिंग सेंटर, हथियार प्रशिक्षण और घुसपैठ की योजना का केंद्र
सेदना बिलाल कैंप –
संगठन: जैश-ए-मोहम्मद
प्रयोजन: स्टेजिंग एरिया, विस्फोटक तैयार करने की ट्रेंनिंग, जंगल सर्वाइवल स्किल्स
कोटली गुलपुर कैंप –
लोकेशन: एलओसी से 30 किमी
संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
फंक्शन: हाई ग्राउंड ऑपरेशंस के लिए आतंकियों की ट्रेंनिंग
बिंबर कैंप –
लोकेशन: एलओसी से 9 किमी
ट्रेनिंग: हथियारों की हैंडलिंग, आईईडी का उपयोग, ग्रुप ऑपरेशंस
अब्बास कैंप (कोटली) –
लोकेशन: एलओसी से 13 किमी
संगठन: लश्कर का ‘फिदायीन’ यूनिट
विशेषता: आत्मघाती हमलावरों की ट्रेनिंग यूनिट
पाकिस्तान (पंजाब प्रांत, सियालकोट):
सरजल कैंप –
लोकेशन: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किमी
फोकस: सीमा पार ऑपरेशंस और हथियार स्टोरेज
महमूना जोया कैंप –
लोकेशन: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 12 किमी
संगठन: हिजबुल मुजाहिद्दीन
प्रयोजन: आतंकी भर्ती, कट्टरपंथी प्रशिक्षण, फंडिंग और लॉजिस्टिक्स हब
एयरफोर्स का प्रहार:
जहां सेना ने 7 ठिकानों को आर्टिलरी और ड्रोन से निशाना बनाया, वहीं दो सबसे संवेदनशील और सुरक्षित माने जाने वाले आतंकी मुख्यालयों पर एयरफोर्स ने हमला किया:
यह ऑपरेशन पूरी तरह से प्रीसाइज़ एयर स्ट्राइक था, जिसमें एयरफोर्स के स्पेशल स्क्वॉड्रन ने भाग लिया.
राजनीतिक और रणनीतिक संदेश
यह ऑपरेशन भारत की उस बदलती रक्षा नीति का प्रतिबिंब है, जिसमें केवल जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि प्रिवेंटिव और पनिशिंग स्ट्रैटेजी को अपनाया जा रहा है.
इसके मुख्य संकेत हैं:
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की ओर से इस पूरे अभियान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. यह शायद इसलिए भी कि भारत की कार्रवाई में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं की गई थी, और यह पूरी तरह से न्यायोचित आत्म-रक्षा के अंतर्गत आता है.
दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञों ने इस ऑपरेशन को एक “टेक्टिकल मास्टरस्ट्रोक” बताया है, जिसमें तकनीकी दक्षता, सटीक इंटेलिजेंस और उच्च स्तरीय कोऑर्डिनेशन का बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला.
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