पुतिन के शांति वार्ता में शामिल नहीं होने पर EU ने रूस पर लगाए प्रतिबंध, 200 कंपनियों को किया बैन

    यूरोपीय संघ (EU) ने रूस पर एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए नए और व्यापक प्रतिबंधों की घोषणा की है.

    European Union imposed sanctions on Russia
    व्लादिमीर पुतिन/Photo- ANI

    ब्रुसेल्स: यूरोपीय संघ (EU) ने रूस पर एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए नए और व्यापक प्रतिबंधों की घोषणा की है. यह प्रतिबंध यूक्रेन पर रूस के जारी हमले और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शांति वार्ता में भाग न लेने की स्थिति में लगाया गया निर्णायक कदम माना जा रहा है.

    यूरोपीय संघ की प्रमुख नेता काजा कैलास ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, "रूस ने न केवल सैन्य आक्रामकता जारी रखी है, बल्कि शांति प्रक्रिया में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. ऐसे में हम मजबूर हैं कि हम कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर और अधिक कठोर कदम उठाएं."

    17वां प्रतिबंध पैकेज:

    EU द्वारा घोषित यह 17वां प्रतिबंध पैकेज है, जो इस बार अधिक तकनीकी और लक्षित रणनीति के तहत तैयार किया गया है.

    इस पैकेज में शामिल हैं:

    200 से अधिक रूसी जहाज, खासतौर से रूस की शैडो फ्लीट (Shadow Fleet) को प्रतिबंधित किया गया है. ये वो तेल टैंकर हैं जो वैश्विक प्रतिबंधों को चकमा देकर तेल का व्यापार करते हैं.

    • 30 कंपनियां, जिनमें रूस की रक्षा निर्माण इकाइयां, शस्त्र डीलर और ऊर्जा से जुड़ी संस्थाएं प्रमुख हैं.
    • 75 व्यक्ति और संगठन, जो रूस के सैन्य औद्योगिक कॉम्प्लेक्स से सीधे जुड़े हुए हैं.

    इन प्रतिबंधों का सीधा असर रूस की तेल व्यापार रणनीति, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संपर्क और हथियार निर्माण क्षमताओं पर पड़ने की संभावना है.

    रूसी संपत्ति जब्ती की तैयारी:

    इस प्रतिबंध के साथ ही एक और महत्वपूर्ण विषय पर भी चर्चा तेज़ हो गई है – रूस की फ्रीज की गई संपत्तियों को जब्त करने का प्रस्ताव.

    EU के वरिष्ठ अधिकारी क्लॉस मर्त्ज ने इस विषय में कहा, "हम वैधानिक दायरे में रहकर यह आकलन कर रहे हैं कि क्या रूसी संपत्तियों को स्थायी रूप से जब्त किया जा सकता है. अगर ऐसा संभव हुआ, तो हम इसे ज़रूर आगे बढ़ाएंगे."

    गौरतलब है कि EU और G7 देशों ने संयुक्त रूप से रूस की लगभग 300 अरब डॉलर की संपत्ति को पहले ही फ्रीज कर रखा है. इनमें से 198 अरब डॉलर की राशि रूसी सेंट्रल बैंक के रिज़र्व के रूप में बेल्जियम स्थित यूरोपीय संस्थानों में जमा है.

    लेकिन यह कदम आसान नहीं:

    • यूरो की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं.
    • EU बैंकिंग सिस्टम की वैश्विक विश्वसनीयता को नुकसान हो सकता है.
    • गैर-पश्चिमी निवेशकों की हिचकिचाहट बढ़ सकती है, खासकर चीन, भारत और खाड़ी देशों से.

    पुतिन-ट्रम्प टेलीफोन वार्ता:

    इसी बीच, एक चौंकाने वाला राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार रात पहले यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की, और बाद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की.

    पुतिन और ट्रम्प की वार्ता:

    • करीब दो घंटे तक चली यह बातचीत रूस-यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित रही.
    • पुतिन ने इस बातचीत को "बहुत सकारात्मक" बताया.

    उन्होंने कहा, "अगर कुछ बुनियादी समझौते हो जाएं, तो एक अस्थायी युद्धविराम संभव है. हम शांति वार्ता के मसौदे (Draft) के लिए तैयार हैं, लेकिन युद्ध की जड़ तक जाना जरूरी है."

    जेलेंस्की के साथ ट्रम्प की बातचीत:

    यूक्रेनी राष्ट्रपति के साथ हुई बातचीत काफी संक्षिप्त रही और फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेलेंस्की शायद ट्रम्प की भूमिका को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.

    EU की रणनीति:

    EU ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यदि रूस वार्ता की मेज पर वापस नहीं आता, तो आने वाले हफ्तों में और भी अधिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. यह कदम पश्चिमी जगत की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें आर्थिक और कूटनीतिक दबाव के माध्यम से युद्ध को रोका जाए.

    यूरोपीय नीति विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य केवल रूस की आर्थिक नाकेबंदी करना नहीं है, बल्कि पुतिन सरकार को शांति वार्ता में लाना भी है.

    रूस की प्रतिक्रिया और आगे की राह

    रूसी मीडिया और विश्लेषकों ने इन नए प्रतिबंधों को "पश्चिम का ढोंग" करार दिया है. मॉस्को का कहना है कि ये सभी कदम रूस को दबाने की पश्चिमी कोशिशें हैं, जो अंततः यूरोपीय अर्थव्यवस्था को ही नुकसान पहुंचाएंगी.

    साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों में भाग नहीं ले रहे, जिससे रूस को कुछ राहत मिल रही है.

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